भरतपुर शहर में ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ रही है और इनके कारण ट्रैफिक जाम लगना आम बात हो गई है। यातायात पुलिस की ओर से अभी तक कोई ठोस यातायात योजना नहीं बनाई गई है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। बाजार के चौराहों और तिराहों पर यातायात पुलिस की तैनाती होने के बावजूद ई-रिक्शा चालक सवारी देखते ही कहीं भी अपने वाहन रोक देते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है।
यातायात पुलिस नहीं देती ध्यान
स्थानीय निवासी जोगिंदर सिंह कपूर ने बताया कि ई-रिक्शा के कारण बाजार में आए दिन जाम लगता है, लेकिन यातायात पुलिस इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। जहां भी सवारी दिखती है, ये ई-रिक्शा वहीं रोक दिए जाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। तुषार शर्मा ने बताया कि ई-रिक्शा चालकों ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। इनके कारण बाजार में दो घंटे तक जाम लगा रहता है। आए दिन वाहन आपस में टकराते हैं, जिससे लोग चोटिल हो रहे हैं। कई ई-रिक्शा चालक नाबालिग भी होते हैं, लेकिन पुलिस ध्यान नहीं देती।
"बाजार में दौड़ते हैं ई-रिक्शा"
जितेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण बाजार में जाम लगता है। प्रशासन ने बाजार के बाहरी हिस्सों पर जंजीर लगा दी है, लेकिन फिर भी ई-रिक्शा नहीं रुकते। बाजार में हजारों ई-रिक्शा चलते हैं। प्रशासन को इनके लिए अलग से रूट तय करना चाहिए, ताकि जाम से राहत मिल सके।
"बाजार में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है"
ई-रिक्शा यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने कहा कि जाम हमारे ई-रिक्शा चालकों के कारण नहीं लगता है। दरअसल आम लोग हमारे वाहनों को ओवरटेक कर लेते हैं, जिससे जाम लग जाता है। न तो पुलिस की ओर से कोई योजना है और न ही बाजार में पार्किंग की व्यवस्था है, जिसके कारण हमें ई-रिक्शा सड़क पर ही खड़े करने पड़ते हैं।
"शहर में संकरी गलियां हैं"
यातायात प्रभारी अजय सिंह ने कहा कि शहर में संकरी गलियां हैं, जिसके कारण ई-रिक्शा के संचालन से जाम लगता है। हर चौराहे और तिराहे पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। ई-रिक्शा चालकों को समय-समय पर समझाइश दी जाती है और कार्रवाई भी की जाती है।
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