राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के धौलीपाल गांव में देर रात एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में करीब रात 10 बजे स्कूल के बरामदे की 80 फीट लंबी छत अचानक भरभराकर गिर गई। गनीमत रही कि यह घटना रात में हुई, वरना दिन में बच्चों के बीच होने पर बड़ा जनहानि हो सकती थी।
स्थानीय लोगों और स्कूल प्रशासन के अनुसार, छत गिरने के समय स्कूल में कोई छात्र या शिक्षक उपस्थित नहीं था। यह घटना उस समय की जर्जर स्थिति और निर्माण गुणवत्ता की चेतावनी के रूप में सामने आई है। बरामदे की छत का ढांचा काफी पुराना था और कई महीनों से जर्जर हो चुका था।
गांववासियों ने बताया कि यह स्कूल की जर्जर इमारतों की स्थिति पर सवाल खड़े करता है। पिछले वर्षों से कई बार प्रशासन और शिक्षा विभाग को इमारत की मरम्मत और सुरक्षा के लिए अनुरोध किया गया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
हनुमानगढ़ के स्थानीय प्रशासन ने बताया कि स्कूल में हुए इस हादसे की तुरंत जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि है और जर्जर इमारतों की मरम्मत और निर्माण कार्य प्राथमिकता पर होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान जैसे राज्य में कई सरकारी स्कूलों की इमारतें पुराने और कमजोर ढांचे की हैं। मानसून, बारिश और समय के साथ कमजोर हुए ढांचे की वजह से इस तरह के हादसे होना संभव है। उन्होंने सुझाव दिया कि नियमित निरीक्षण और समय पर मरम्मत कार्य अत्यंत आवश्यक है।
स्कूल प्रबंधन ने भी इस घटना के बाद छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन से तत्काल कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बरामदे और अन्य जर्जर हिस्सों को तुरंत सुरक्षित बनाने या ध्वस्त कर नए निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाए।
स्थानीय लोग और अभिभावक इस हादसे के बाद काफी चिंतित हैं। उनका कहना है कि अगर यह घटना दिन में होती, तो छात्रों और शिक्षकों के बीच बड़ा नुकसान हो सकता था। ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन से अपील की है कि सभी सरकारी स्कूलों की इमारतों की सुरक्षा जांच करवाई जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
हनुमानगढ़ के शिक्षा अधिकारियों ने कहा कि इस घटना को गंभीरता से लिया जा रहा है और जल्द ही स्कूल के बरामदे और अन्य जर्जर हिस्सों की मरम्मत और मजबूती सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही, अन्य सरकारी स्कूलों में भी निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि पुरानी और जर्जर स्कूल इमारतों की सुरक्षा पर समय रहते ध्यान न देने से गंभीर हादसे हो सकते हैं। प्रशासन, शिक्षा विभाग और स्थानीय समुदाय को मिलकर बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
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