जिले के मनोहरथाना क्षेत्र में भूमि अतिक्रमण का मामला सामने आया है, जहां एक दबंग व्यक्ति ने पहले दूसरे किसान की कृषि भूमि पर कब्जा किया और बाद में स्टेट हाइवे की जमीन पर अवैध रूप से दुकानें बनवा लीं। इस मामले में तत्कालीन तहसीलदार द्वारा कब्जा हटाने का आदेश जारी किया गया था, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण आज तक उस आदेश की पालना नहीं हो सकी है।
स्थानीय ग्रामीणों और पीड़ित किसान के अनुसार, आरोपी ने धीरे-धीरे खेती की जमीन पर कब्जा किया और उसके बाद हाइवे किनारे की सरकारी भूमि पर भी निर्माण कार्य शुरू कर दिया। शिकायतें कई बार राजस्व विभाग और पुलिस प्रशासन को दी गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
मामला जब बढ़ा तो तत्कालीन तहसीलदार ने मौके पर जांच कर कब्जा अवैध पाया और कब्जा हटाने का निर्णय सुनाया। बावजूद इसके, कई महीने बीत जाने के बाद भी जमीन से कब्जा नहीं हटाया गया।
ग्रामीणों ने बताया कि दबंग ने स्टेट हाइवे किनारे कई पक्की दुकानें और ढांचे खड़े कर दिए हैं, जिससे न केवल सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण हुआ है, बल्कि यातायात में भी बाधा उत्पन्न हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मामला प्रशासनिक उदासीनता और प्रभावशाली व्यक्तियों के संरक्षण का उदाहरण बन गया है।
पीड़ित किसान ने बताया कि उसने इस संबंध में उपखंड अधिकारी और जिला कलेक्टर को भी शिकायतें दीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उसने कहा कि “जब तहसीलदार ने कब्जा हटाने का आदेश दिया था, तब उम्मीद जगी थी कि न्याय मिलेगा, लेकिन आज तक जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।”
ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल मौके पर पहुंचकर कब्जा हटाने की कार्रवाई करे और संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगे कि आदेश के बावजूद कार्रवाई में देरी क्यों हुई।
सूत्रों के अनुसार, इस मामले की फाइल अब जिला प्रशासन के पास पुनः समीक्षा के लिए भेजी जा रही है, और संभावना है कि आने वाले दिनों में उच्चाधिकारियों के निर्देश पर कार्यवाही की जाए।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे मामलों में देरी से लोगों का प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर विश्वास कमजोर होता है। उन्होंने कहा कि जब राजस्व अधिकारी खुद कब्जा अवैध मान चुके हैं, तो उसका तुरंत निष्पादन किया जाना चाहिए।
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