क्या आपके भोजन में पर्याप्त फाइबर शामिल है? यदि नहीं, तो सावधान हो जाइए। गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों के अनुसार, फाइबर की लगातार कमी पाचन से जुड़ी कई जटिल बीमारियों को जन्म दे सकती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां प्रोसेस्ड फूड, फास्ट फूड और रिफाइंड आहार ने जगह बना ली है, वहीं फाइबर जैसे अहम पोषक तत्व को लोग भूलते जा रहे हैं।
फाइबर क्या है और क्यों जरूरी है?
फाइबर यानी रेशा, पौधों से प्राप्त वह तत्व होता है जिसे शरीर पचा नहीं पाता, लेकिन यह पाचन तंत्र के सुचारू संचालन के लिए बेहद ज़रूरी होता है। यह मुख्य रूप से फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज और दालों में पाया जाता है। फाइबर दो प्रकार का होता है – घुलनशील (Soluble) और अघुलनशील (Insoluble)।
घुलनशील फाइबर ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है।
अघुलनशील फाइबर मल को आकार देने और कब्ज से बचाव में मददगार होता है।
डॉक्टर ने बताए फाइबर की कमी से होने वाले खतरे:
डॉ. कहते हैं,
“शहरी जीवनशैली में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों की उपेक्षा के कारण पाचन संबंधी परेशानियां लगातार बढ़ रही हैं। लंबे समय तक फाइबर की कमी से सिर्फ कब्ज ही नहीं, बल्कि आंतों की कार्यप्रणाली भी प्रभावित हो सकती है।”
फाइबर की कमी से होने वाली समस्याएं:
1. कब्ज (Constipation):
फाइबर की कमी से मल सख्त हो जाता है और आंतों में रुक जाता है, जिससे कब्ज की समस्या होती है। यह स्थिति सामान्य न होकर लंबे समय तक बनी रहे तो बवासीर और एनल फिशर जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।
2. आंतों की सूजन (Diverticulitis):
कम फाइबर लेने वालों में डाइवर्टिकुला यानी आंतों में छोटे-छोटे थैले बन जाते हैं, जिनमें सूजन या संक्रमण हो सकता है।
3. बवासीर (Piles):
लगातार कब्ज और मलत्याग में कठिनाई के कारण मलद्वार की नसें फूलने लगती हैं, जिससे बवासीर की समस्या हो सकती है।
4. पाचन तंत्र की गड़बड़ी:
फाइबर की मदद से आंतों में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बना रहता है। इसकी कमी से पेट फूलना, गैस, अपच और भारीपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
5. कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा:
कुछ शोधों के अनुसार, लंबे समय तक फाइबर रहित भोजन करने वालों में कोलन और रेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
फाइबर की पूर्ति कैसे करें?
हर दिन कम से कम 25–30 ग्राम फाइबर लेने की सलाह दी जाती है।
अपने आहार में शामिल करें:
साबुत अनाज (जैसे ब्राउन राइस, ओट्स, बाजरा)
फल (जैसे सेब, पपीता, नाशपाती)
हरी पत्तेदार सब्जियां (जैसे पालक, मेथी)
दालें और बीन्स
सूखे मेवे (जैसे बादाम, अखरोट)
ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, ताकि फाइबर सही तरीके से काम करे।
डॉक्टर की सलाह:
डॉ. कहते हैं, “जिन लोगों को बार-बार पेट की समस्याएं होती हैं, उन्हें चाहिए कि वे अपनी डाइट पर ध्यान दें। बिना दवा के भी केवल फाइबर की मात्रा बढ़ाकर कई बीमारियों से बचा जा सकता है।”
यह भी पढ़ें:
फौलादी शरीर के लिए क्या है बेहतर? भीगे हुए चने या अंकुरित चने – जानें वैज्ञानिक आधार पर सही विकल्प
You may also like
कटरा भूस्खलन : श्री माता वैष्णो देवी तीर्थयात्रा अस्थायी रूप से स्थगित
ममता बनर्जी का केंद्र पर हमला, बोलीं– वोटिंग अधिकार छीनने नहीं दूंगी
बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में लॉरेंस बिश्नोई गैंग का एक और मेंबर गिरफ्तार
'जटाधारा' में शिल्पा शिरोडकर का पहला लुक आया सामने
आधार कार्ड की फोटो अपडेट करने की प्रक्रिया: जानें कैसे करें