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भारत से iPhone एक्सपोर्ट में जबरदस्त उछाल, FY25 में डेढ़ लाख करोड़ रुपये के आईफोन अमेरिका को भेजे

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एप्पल (Apple) के भारतीय वेंडर्स ने वित्त वर्ष 2025 (FY25) में iPhone के निर्यात को लगभग दोगुना कर दिया है. खास बात यह रही कि इसमें सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका को भेजे गए iPhones का रहा. मार्च 2025 में भारत से 20,000 करोड़ रुपये के iPhone एक्सपोर्ट किए गए, जबकि पिछले साल इसी महीने 11,000 करोड़ रुपये के iPhones एक्सपोर्ट हुए थे.जानकारों का मानना है कि एप्पल ने अमेरिका में लागू होने वाले नए टैरिफ से पहले बड़ी मात्रा में स्टॉक बनाने की तैयारी कर ली थी. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से 2 अप्रैल से 26% का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू कर दिया गया है, जिसकी वजह से आगे iPhone एक्सपोर्ट की रफ्तार धीमी हो सकती है. FY25 में रिकॉर्ड iPhone एक्सपोर्टET की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे FY25 में भारत से लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये के iPhones एक्सपोर्ट हुए, जबकि FY24 में यह आंकड़ा 85,000 करोड़ रुपये था. सिर्फ मार्च तिमाही (जनवरी-मार्च) में ही 48,000 करोड़ रुपये के iPhones विदेश भेजे गए, जो कि पिछले साल की तुलना में 28,500 करोड़ रुपये ज्यादा है. Foxconn और Tata Electronics की बड़ी हिस्सेदारीFY25 में भारत से हुए iPhone एक्सपोर्ट में Foxconn की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 51% रही. उसके बाद Tata Electronics ने 30% और Pegatron (जो Tata Electronics की कंपनी है) ने 19% हिस्सेदारी दी.FY24 में भारत से अमेरिका को 46,200 करोड़ रुपये के iPhone एक्सपोर्ट किए गए थे, जिससे ये भारत का अमेरिका को भेजा जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा प्रोडक्ट बन गया था, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के बाद. India vs China: टैरिफ वॉर में भारत को बढ़तफिलहाल भारत और चीन दोनों ही iPhone मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा सेंटर हैं. लेकिन टैरिफ स्ट्रक्चर के मामले में भारत चीन से आगे है. अमेरिका ने भारत से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स पर 26% और चीन से आने वाले प्रोडक्ट्स पर 54% टैरिफ लगाया है.हालांकि, भारत के लिए चुनौती है कि वह अमेरिका के साथ ट्रेड डील को सही तरीके से संभाले ताकि आने वाले समय में iPhone मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट में उसकी लीड बनी रहे. आगे की रणनीति वेट एंड वॉचउद्योग से जुड़े जानकारों के मुताबिक, फिलहाल एप्पल और अन्य स्मार्टफोन कंपनियां वेट एंड वॉच की पॉलिसी अपना रही हैं. आने वाले 6-8 हफ्तों में भारत-अमेरिका ट्रेड डील की दिशा साफ हो जाएगी, जिसके बाद कंपनियां अपनी सप्लाई चेन को लेकर बड़े फैसले लेंगी.(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
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