टाटा ग्रुप, जो भारत का सबसे बड़ा और भरोसेमंद बिजनेस ग्रुप है, इस साल बड़ी आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहा है। इसकी 16 कंपनियों के कुल शेयरों की कीमत 75 अरब डॉलर (लगभग 8.2 लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा कम हो गया है। खासकर अमेरिका के वीज़ा नियमों में बदलाव और हाल ही में हुए साइबर हमलों ने इस गिरावट को और बढ़ा दिया है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (TCS) जैसी बड़ी कंपनियों के शेयर भी नीचे गए हैं, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। अब ये सवाल उठ रहा है कि क्या टाटा समूह फिर से मजबूत हो पाएगा या ये मुश्किलें लंबे समय तक चलेंगी।
अमेरिकी वीज़ा नियमों का असर
टाटा ग्रुप के लिए सबसे बड़ी परेशानी अमेरिका की सरकार का H-1B वीज़ा नियमों को सख्त करना रहा है। नए नियमों के बाद अब कंपनियां ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए बोली नहीं लगा पा रही हैं, जिनमें कर्मचारियों को सीधे अमेरिका में काम करना होता है। इसका सीधा असर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (TCS) और दूसरी आईटी कंपनियों पर पड़ा है, क्योंकि उनकी नई डील्स में रुकावट आ रही है। सिर्फ सितंबर से अब तक कंपनी की कुल बाजार कीमत में करीब 20 अरब डॉलर की गिरावट आई है, जिससे टाटा समूह की आर्थिक हालत पर दबाव पड़ा है।
साइबर हमलों से टाटा मोटर्स को झटका
हाल ही में टाटा मोटर्स की कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर (JLR) पर साइबर हमला हुआ, जिससे कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ। इस हमले की वजह से उनके प्लांट बंद हो गए और गाड़ियों का प्रोडक्शन रूक गया। इसके कारण कंपनी के शेयर करीब 5% तक गिर गए। नुकसान की भरपाई करने के लिए टाटा मोटर्स को ब्रिटेन से 2 अरब डॉलर का कर्ज लेना पड़ा, जिससे खर्च और बढ़ गया और साथ ही लोगों का भरोसा भी थोड़ा कम हो गया।
अन्य कंपनियों के शेयरों में गिरावट
टाटा ग्रुप की दूसरी कंपनियों जैसे तेजस नेटवर्क्स, ट्रेंट लिमिटेड और नेल्को लिमिटेड के शेयरों में भी गिरावट आई है। तेजस नेटवर्क्स के शेयरों की कीमत में 50% से ज्यादा की कमी हुई है, जबकि ट्रेंट (Trent) और नेल्को (Nelco) के शेयर लगभग एक-तिहाई घट गए हैं। टाटा समूह की कुल 16 लिस्टेड कंपनियों में से 12 के शेयर नीचे गए हैं। यह दिखाता है कि टाटा समूह को आगे भी कई आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
(अस्वीकरण : विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये द इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
अमेरिकी वीज़ा नियमों का असर
टाटा ग्रुप के लिए सबसे बड़ी परेशानी अमेरिका की सरकार का H-1B वीज़ा नियमों को सख्त करना रहा है। नए नियमों के बाद अब कंपनियां ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए बोली नहीं लगा पा रही हैं, जिनमें कर्मचारियों को सीधे अमेरिका में काम करना होता है। इसका सीधा असर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (TCS) और दूसरी आईटी कंपनियों पर पड़ा है, क्योंकि उनकी नई डील्स में रुकावट आ रही है। सिर्फ सितंबर से अब तक कंपनी की कुल बाजार कीमत में करीब 20 अरब डॉलर की गिरावट आई है, जिससे टाटा समूह की आर्थिक हालत पर दबाव पड़ा है।
साइबर हमलों से टाटा मोटर्स को झटका
हाल ही में टाटा मोटर्स की कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर (JLR) पर साइबर हमला हुआ, जिससे कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ। इस हमले की वजह से उनके प्लांट बंद हो गए और गाड़ियों का प्रोडक्शन रूक गया। इसके कारण कंपनी के शेयर करीब 5% तक गिर गए। नुकसान की भरपाई करने के लिए टाटा मोटर्स को ब्रिटेन से 2 अरब डॉलर का कर्ज लेना पड़ा, जिससे खर्च और बढ़ गया और साथ ही लोगों का भरोसा भी थोड़ा कम हो गया।
अन्य कंपनियों के शेयरों में गिरावट
टाटा ग्रुप की दूसरी कंपनियों जैसे तेजस नेटवर्क्स, ट्रेंट लिमिटेड और नेल्को लिमिटेड के शेयरों में भी गिरावट आई है। तेजस नेटवर्क्स के शेयरों की कीमत में 50% से ज्यादा की कमी हुई है, जबकि ट्रेंट (Trent) और नेल्को (Nelco) के शेयर लगभग एक-तिहाई घट गए हैं। टाटा समूह की कुल 16 लिस्टेड कंपनियों में से 12 के शेयर नीचे गए हैं। यह दिखाता है कि टाटा समूह को आगे भी कई आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
(अस्वीकरण : विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये द इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
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