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IPO से पहले NSE में भूचाल! मई से अब तक 17% गिरा स्टॉक, BSE का शेयर भी 33% लुढ़का; जानें कारण

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अगर आपने इस साल नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के अनलिस्टेड शेयरों में सबसे हाई प्राइस पर निवेश किया था, तो आपको अब नुकसान का सामना करना पड़ रहा होगा। मई में जहां NSE का शेयर करीब 2,400 रुपए तक पहुंच गया था। वहीं, आज यानी 25 सितंबर को यह गिरकर 1,995 रुपए पर आ गया है। यानी करीब 17% की गिरावट। ये आंकड़े Unlisted Zone की रिपोर्ट से सामने आई है।



इस गिरावट की बड़ी वजह मार्केट रेगुलेटर SEBI की पैनी नजर है, खासतौर पर निफ्टी और सेंसेक्स के वीकली ऑप्शंस ट्रेडिंग पर। दरअसल, हाल ही में एक स्टडी में सामने आया है कि FY25 में करीब 87 लाख ट्रेडर्स को औसतन 1.1 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। जबकि FY24 में यह आंकड़ा 86,728 रुपए था। इसके साथ ही NSE के संभावित IPO को लेकर बाजार में चल रही अटकलों ने भी निवेशकों में बेचैनी बढ़ा दी है।



बिना सोचे-समझे वीकली ऑप्शन पर रोक लगाने की जरूरत नहीं

NSE ने कहा है कि जिन ट्रेडर्स को नुकसान हो रहे हैं, उन्हें सही नजरिए से देखना चाहिए। एक्सचेंज के मुताबिक, अगस्त 2024 तक पिछले एक साल में उसके 11.9 करोड़ रजिस्टर्ड निवेशकों में से सिर्फ 1.7% यानी करीब 20 लाख लोगों ने ही सिर्फ इक्विटी डेरिवेटिव्स (जैसे कि ऑप्शंस और फ्यूचर्स) में ट्रेडिंग की है। NSE के MD और CEO आशीष कुमार चौहान ने कहा कि बिना सोचे-समझे रोक लगाने की जरूरत नहीं है। उनकी राय है कि जो लोग इस तरह की ट्रेडिंग के जोखिम नहीं संभाल सकते, उन्हें खुद ही इससे दूर रहना चाहिए। इसके साथ ही, सभी से बात करके कोई समझदारी भरा फैसला लिया जाना चाहिए।



सिर्फ NSE ही नहीं, बाकी एक्सचेंज भी दबाव में

NSE के शेयर में गिरावट का असर दूसरे एक्सचेंजों पर भी देखने को मिल रहा है। जून में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का शेयर जहां 3,030 रुपए तक पहुंच गया था। वहीं, अब यह गिरकर 2,046 रुपए पर आ गया है। यानी करीब 33% की गिरावट। इसी तरह MCX (जो कि कमोडिटी से जुड़ा एक्सचेंज है) के शेयर जुलाई में अपने ऊपरी स्तर से 13% टूटकर 7,926 रुपए पर आ गए हैं। NSE और BSE दोनों पर दबाव की एक बड़ी वजह ये अटकलें हैं कि SEBI वीकली ऑप्शंस ट्रेडिंग पर कुछ कड़े नियम ला सकता है। इसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ के चलते बाजार में और भी गिरावट देखने को मिली है। MCX की गिरावट का मुख्य कारण कमोडिटी मार्केट्स (जैसे सोना, चांदी, तेल आदि) में हो रहा उतार-चढ़ाव है।



IPO की रास्ता साफ, जल्द बाजार में आ सकता है NSE

NSE के IPO का इंतजार कई सालों से हो रहा है और अब लगता है कि ये सपना पूरा होने के करीब है। NSE के CEO आशीष कुमार चौहान ने बताया कि एक्सचेंज ने जून 2025 में SEBI के साथ सेटलमेंट के लिए आवेदन किया है। जैसे ही SEBI से NOC (नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) मिल जाएगा, NSE को अपना DRHP (ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस) तैयार करने में करीब 4-5 महीने लगेंगे। उसके बाद SEBI को इसे मंजूर करने में और 4-5 महीने लग सकते हैं।



असल में NSE ने सबसे पहले 2016 में IPO लाने की कोशिश की थी, जिसमें करीब 10,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना थी। लेकिन उस समय गवर्नेंस और को-लोकेशन जैसे मुद्दों पर SEBI की चिंता की वजह से यह अटक गया था। अब SEBI के चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने साफ कर दिया है कि IPO में कोई बड़ी रुकावट नहीं बची है। भले ही NSE के अनलिस्टेड शेयरों में इस समय गिरावट देखी जा रही हो, लेकिन एक्सचेंज की पकड़ अब भी मार्केट में बहुत मजबूत है। अगस्त 2025 तक NSE भारत के इक्विटी कैश मार्केट में 92.6% और ऑप्शंस के टर्नओवर में 76.4% हिस्सेदारी रखता है।



डिस्क्लेमर : यह केवल जानकारी है। इसे किसी भी स्टॉक में निवेश या बिकवाली की सलाह ना समझें।

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