नई दिल्ली, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। ‘सकुच सलज खिलती शेफाली, अलस मौलश्री डाली-डाली... कवियित्री महादेवी वर्मा की कविता की ये पंक्तियां छोटे-छोटे सफेद फूलों वाले मौलश्री के पौधे की खूबसूरती को बयां करती हैं। इसके चमकीले हरे पत्ते और खुशबू देते फूल मन को मोह लेते हैं। मौलश्री का पौधा दिखने में जितना 'हसीन' है, उतना ही कुछ बीमारियों का परम दुश्मन भी! आयुर्वेद इसे सर्वगुण संपन्न औषधि बताता है।
मौलश्री, जिसे बकुल के नाम से भी जाना जाता है, बारहमास तक फूल देने वाला पौधा है। मौलश्री दांत और पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में गजब का काम करता है। इसके साथ ही यह सूजन रोधी, संक्रमण को दूर करने वाला और तमाम रोगों का दुश्मन भी माना जाता है।
पंजाब स्थित बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के बीएएमएस डॉक्टर प्रमोद आनंद तिवारी ( एमडी ) ने मौलश्री के गुणों पर रोशनी डाली।
उन्होंने बताया, “मौलश्री, जिसे बकुल या संस्कृत में केसव के नाम से जाना जाता है। इसके फूलों की खास बात है कि यह सूख जाने के बाद भी सुगंध देता है। सदाबहार बकुल का फूल हर जगह मिलता है। यह न केवल घरों की सुंदरता को बढ़ाता है, इसकी खुशबू मन को शांति देती है बल्कि यह आयुर्वेद में भी काफी फायदेमंद माना जाता है। मौलश्री के फूल पित्त-कफ से आराम दिलाते हैं। ये सूजन और योनिस्राव (वजाइनल डिस्चार्ज) को दूर करते हैं। इसके अलावा यदि मूत्र मार्ग में सूजन या जलन है तो इससे भी आराम मिलता है। मौलश्री के फूल हृदय और सिर में होने वाली पीड़ा में भी आराम देते हैं।"
आयुर्वेदाचार्य ने बताया कि मौलश्री बड़ा गुणकारी है। इसके पंचांग- फल, छाल, पत्तियां, डंठल, फूल सब किसी न किसी तरीके से मानव शरीर के लिए लाभप्रद हैं। इनके सेवन से बुखार हो या फिर त्वचा की कोई समस्या, सबमें राहत मिलती है।"
यह दांतों से संबंधित समस्याओं के लिए विशेष लाभकारी होता है। मौलश्री दांत संबंधी समस्याओं जैसे कि असमय दांत का हिलना, दांत दर्द, मुंह से बदबू आने से राहत भी दिलाता है। इसके इस्तेमाल से दांतों और हड्डियों को मजबूती मिलती है।"
आयुर्वेदाचार्य ने यह भी बताया कि मौलश्री का सेवन कैसे करना चाहिए। उन्होंने बताया, “यदि आप प्रतिदिन मौलश्री छाल से बने काढ़े को पीते हैं या उसके पाउडर को खाते हैं तो इसमें कोई शक नहीं कि आपके दांत मजबूत होंगे। इसके लिए मौलश्री की छाल का पेस्ट बनाना चाहिए और उसका सेवन गर्म पानी या दूध के साथ करना चाहिए, जिससे आराम मिलता है। मौलश्री के पाउडर से मंजन करने पर भी दांत की पीड़ा समेत अन्य समस्याओं से राहत मिलती है। मौलश्री के 1-2 फलों को भी नियमित रूप से चबाने से दांत मजबूत होते हैं। केवल नीम ही नहीं बल्कि मौलश्री के डंठल से भी ब्रश करने पर दांत में होने वाली समस्याओं का शमन होता है।"
इतना ही नहीं, आयुर्वेद तो पुरानी खांसी को ठीक करने में भी इसे कारगर मानता है। आयुर्वेदाचार्य कहते हैं, "खांसी पुरानी है और ठीक नहीं हो रही है तो ज्यादा कुछ नहीं करना है, बस इसके फूलों को रात में पानी में भिगोकर रख दें और अगले दिन सुबह पी लें। खांसी एक हफ्ते में ठीक हो सकती है। लेकिन हां, इसके प्रयोग से पहले किसी विशेषज्ञ की राय जरूर लें।"
--आईएएनएस
एमटी/केआर
You may also like
शौच के लिए गई महिला, पीछे पीछे आया देवर. जिस हालत में देखा भाभी को हो गया बेहोंश ⁃⁃
PSEB Class 5 Result 2025 Expected Soon: Check Scorecard via Direct Link at pseb.ac.in
भारत की 10 मंदिरें जहां दिल खोलकर दान करते हैं भक्त ⁃⁃
LPG price: जनता को लगा महंगाई का झटका, आज से घरेलू गैस सिलेंडर के लिए देने होंगे इतने रुपए ज्यादा, जानें क्या है आपके शहर में कीमत
08 अप्रैल को इन राशियों को आर्थिक मामलो मे मिल सकता है किस्मत का साथ