मक्का और मदीना को इस्लाम के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। हर साल हजारों मुस्लिम श्रद्धालु यहां अपने ईश्वर के दर्शन के लिए आते हैं। यह माना जाता है कि हर मुस्लिम को अपने जीवन में कम से कम एक बार इन स्थलों की यात्रा करनी चाहिए। हालांकि, ये स्थान हमेशा से विवादों में रहे हैं। कुछ लोग इसे भगवान शिव के शिवलिंग से भी जोड़ते हैं, यह दावा करते हुए कि मक्का में स्थित पत्थर वास्तव में एक शिवलिंग है। इस क्षेत्र से जुड़ी कई दंतकथाएं प्रचलित हैं। आज हम आपको मक्का-मदीना के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।
इतिहास और विवाद
मक्का-मदीना सऊदी अरब में स्थित हैं, और यहां यह मान्यता है कि इस्लाम के प्रवर्तक हजरत पैगम्बर मोहम्मद का जन्म यहीं हुआ था। उनके पदचिन्ह आज भी यहां मौजूद हैं। यदि कोई मुस्लिम इस पवित्र स्थल का दर्शन करता है, तो उसके सभी पाप धुल जाते हैं। इस यात्रा को इस्लाम में हज कहा जाता है।
ये स्थल विश्व के सबसे विवादित स्थानों में से एक माने जाते हैं। मक्का-मदीना में केवल मुस्लिम श्रद्धालुओं को ही जाने की अनुमति है, जिसके कारण यहां कई कहानियां प्रचलित हैं। कुछ का मानना है कि यहां पहले मक्केश्वर महादेव का मंदिर था, जिसका नाम कालांतर में मक्का और मदीना पड़ा। हाल ही में एक प्रसिद्ध इतिहासकार ने इस विषय पर कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं।
इतिहासकारों की राय
इतिहासकार पी एन ओक ने अपनी पुस्तक 'वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास' में उल्लेख किया है कि यहां एक बड़ा पत्थर है, जिसे मुस्लिम श्रद्धालु अपने माथे से चूमते हैं और उसकी परिक्रमा करते हैं। यह पत्थर सामान्य नहीं है, बल्कि इसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता महादेव का शिवलिंग माना जाता है। इस दावे के बाद यह बात सोशल मीडिया पर काफी चर्चा का विषय बन गई।
हालांकि, यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि यहां कोई वास्तविक शिवलिंग नहीं है। यह केवल एक दंतकथा है, जिसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। वास्तव में, मक्का-मदीना एक सूखी और संकरी घाटी में स्थित है, जहां वर्षा बहुत कम होती है। यहां रहने वाले लोगों की आजीविका मुख्य रूप से मक्का-मदीना आने वाले यात्रियों पर निर्भर करती है। यहां एक काबा नामक इमारत है, जहां पैगम्बर मोहम्मद का जन्म हुआ था, और मुस्लिम श्रद्धालु यहां 7 चक्कर लगाते हैं। गैर-मुस्लिमों का यहां प्रवेश निषेध है।
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