नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मंदसौर में भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में सहस्त्रेश्वर महादेव की एक विशाल प्रतिमा स्थापित की जा रही है। इस शिवलिंग का वजन ढाई टन है और इसकी लंबाई तथा गोलाई 6.50 फीट है। इसे जलाधारी यानी जिलहरी में स्थापित करने के लिए प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी, पीएचई और जिला पंचायत के इंजीनियर्स को बुलाया। हालांकि, कोई भी यह नहीं बता सका कि इसे जिलहरी पर कैसे उतारा जाए। अंततः इस कार्य का जिम्मा एक मुस्लिम मिस्त्री ने लिया।
मकबूल मिस्त्री की अनोखी सोच
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब इस कार्य की तैयारी चल रही थी, तब वहां मकबूल नाम का एक मिस्त्री भी मौजूद था। अधिकारियों और इंजीनियर्स को समस्या का समाधान नहीं मिल रहा था, तब मकबूल ने एक ऐसा उपाय सुझाया जो पहले किसी के ध्यान में नहीं आया। यह जानकर सभी अधिकारी हैरान रह गए। दिलचस्प बात यह है कि मकबूल ने कभी स्कूल नहीं देखा, फिर भी उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर इस समस्या का समाधान निकाला।
मकबूल का उपाय
मकबूल ने सुझाव दिया कि शिवलिंग को जिस स्थान पर स्थापित करना है, वहां बर्फ रखी जाए। इससे जिलहरी को कोई नुकसान नहीं होगा और शिवलिंग भी सुरक्षित रहेगा। बर्फ के पिघलने के साथ भगवान शिव धीरे-धीरे जिलहरी में प्रवेश करेंगे। सभी ने मकबूल की बात मानी और उनकी सूझबूझ ने काम कर दिखाया। इंजीनियरों को घंटों से परेशान करने वाली समस्या को मकबूल ने चंद मिनटों में सुलझा दिया।
मकबूल की खुशी
मीडिया से बातचीत में मकबूल ने कहा कि अल्लाह और ईश्वर एक ही हैं, और उन्हें गर्व है कि उन्होंने यह पवित्र कार्य किया। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कलेक्टर गौतम सिंह ने बताया कि शिवलिंग को जिलहरी में स्थापित करने में काफी मेहनत करनी पड़ी। सभी इंजीनियर्स और अधिकारी जुट गए थे, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल रहा था। मकबूल भाई ने आकर यह कार्य आसानी से कर दिया। ऐसा लगा जैसे भगवान ने उन्हें इस काम के लिए भेजा था।
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