नागपुर में एक व्यक्ति के साथ एक अद्भुत घटना घटी जब उसे दिल का दौरा पड़ा। यह कहा जाता है, 'जाको राखे साइयां, मार सके न कोय', और यह सच साबित हुआ। भारत में हर साल हार्ट डिजीज के कारण कई लोगों की जान जाती है, लेकिन कभी-कभी सही उपचार की कमी भी जानलेवा साबित होती है। हालांकि, सही चिकित्सा के माध्यम से एक व्यक्ति को मौत के मुंह से वापस लाया जा सकता है।
महाराष्ट्र के नागपुर में एक व्यक्ति को हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उसकी धड़कन लगभग एक घंटे तक रुक गई। डॉक्टरों ने तत्परता से इलाज किया और उसकी हार्ट बीट को पुनः स्थापित करने में सफल रहे। मरीज को 45 दिनों तक आईसीयू में रखा गया और अंततः सीपीआर के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसे आमतौर पर 40 मिनट के बाद रोक दिया जाता है यदि दिल की धड़कन वापस नहीं आती है।
इस विशेष मामले में, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ऋषि लोहिया ने मरीज की उम्र और वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन के कारण 40 मिनट की सीमा को पार करने का निर्णय लिया। इसके बाद, उन्होंने मरीज की सांसें वापस लाने में सफलता प्राप्त की।
सीपीआर एक आपातकालीन चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें बेहोश मरीज के सीने पर दबाव डाला जाता है और कृत्रिम सांसें दी जाती हैं। यह दिल के दौरे या सांस रुकने की स्थिति में जीवन बचाने में सहायक होती है।
आपको याद होगा कि 2022 में प्रसिद्ध गायक केके का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उनके पोस्टमॉर्टम में यह सामने आया कि उनकी धमनियों में कई ब्लॉकेज थे और यदि उन्हें समय पर सीपीआर दिया जाता, तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए, और यदि चिकित्सा सहायता उपलब्ध नहीं है, तो सीपीआर शुरू करना आवश्यक है।
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