New Delhi, 22 अक्टूबर . आयुर्वेद का नाम सुनते ही बहुत लोग सोचते हैं कि ये कोई पाबंदी वाली चीज है, जैसे ये मत खाओ, वो मत करो. लेकिन असल में आयुर्वेद पाबंदी नहीं, बल्कि संतुलन की बात करता है. ये हमें सिखाता है कि हम अपने शरीर की प्रकृति के मुताबिक कैसे जिएं, ना कि उसके खिलाफ.
सबसे पहली बात है कि जब भूख लगे, तभी खाएं. कई बार हम टाइम देखकर खाना खाते हैं या ऐसे ही कुछ खा लेते हैं, लेकिन ये आदतें धीरे-धीरे पाचन खराब करती हैं. अगर शरीर को भूख नहीं लगी है, तो खाना भी ठीक से नहीं पचेगा और उल्टा नुकसान होगा.
दूसरी बात, हमारे खाने में छह तरह के स्वाद होने चाहिए: मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा और कसैला. जब ये सब स्वाद थोड़े-थोड़े शामिल होते हैं, तो शरीर को पूरा पोषण मिलता है. सिर्फ एक ही तरह का खाना खाते रहना भी सेहत के लिए ठीक नहीं.
आयुर्वेद की मानें तो एक संतुलित खाना आपके शरीर को ऊर्जा देता है, ध्यान लगाने में मदद करता है और आपको हर दिन की भागदौड़ से निपटने के लिए तैयार करता है. इसलिए ना ज्यादा, ना कम, बस जितनी जरूरत हो उतना ही खाओ.
अब बात करें दिनभर की आदतों की, तो अगर आप प्रोटीन से भरपूर खाना खाते हैं, पानी खूब पीते हैं, और खुद को दिनभर हाइड्रेटेड रखते हैं, तो आपका शरीर मजबूत बना रहेगा. इससे न सिर्फ आपकी ताकत बढ़ेगी, बल्कि मन भी खुश रहेगा और सोचने-समझने की ताकत भी तेज होगी.
आयुर्वेद ये भी कहता है कि सेहत सिर्फ खाने से नहीं बनती, बल्कि आपकी पूरी जीवनशैली मायने रखती है. मतलब ये कि आप कितनी देर सोते हैं, कितना चलते हैं और कितना तनाव लेते हैं, ये सब चीजें आपकी सेहत पर असर डालती हैं. इसलिए रोज थोड़ा बहुत व्यायाम करना, समय पर सोना और दिमाग को भी आराम देना बहुत जरूरी है.
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पीआईएम/एबीएम
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