New Delhi, 27 अगस्त . जिम्बाब्वे के उपराष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. सी.जी.डी.एन. चिवेंगा ने Wednesday को कहा कि भारत और जिम्बाब्वे साथ मिलकर दक्षिण से दक्षिण सहयोग का अगला अध्याय लिख सकते हैं, जिससे विश्व को पता लगेगा कि विकासशील देशों के बीच साझेदारी किस प्रकार इनोवेशन, औद्योगिक विकास और एक अधिक न्यायसंगत वैश्विक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकती है.
राष्ट्रीय राजधानी में ‘सीआईआई भारत-अफ्रीका बिजनेस कॉन्क्लेव 2025’ के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए डॉ. चिवेंगा ने कहा कि अफ्रीका न केवल प्राकृतिक संसाधन प्रदान करता है, बल्कि जीवंत बाजार, प्रतिभा और इनोवेशन भी प्रदान करता है.
उन्होंने आगे कहा, “अफ्रीका सबसे तेजी से बढ़ती आबादी और सबसे युवा दिमागों वाला देश है. 2050 तक 2.5 अरब से ज्यादा लोगों के साथ यहां बड़े पैमाने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, औद्योगिकीकरण और उपभोक्ता मांग को बढ़ावा मिलेगा.”
2030 तक उच्च मध्यम आय वर्ग का दर्जा हासिल करने की जिम्बाब्वे की महत्वाकांक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने भारतीय कंपनियों को इलेक्ट्रिक वाहनों, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल्स, आईसीटी और इन्फ्रास्ट्रक्टर के लिए लिथियम खनन में अवसरों का पता लगाने के लिए आमंत्रित किया.
उन्होंने कहा कि जिम्बाब्वे का युवा कार्यबल, रणनीतिक सुधार और विशेष आर्थिक क्षेत्र इसे एक प्रतिस्पर्धी निवेश गंतव्य बनाते हैं.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अफ्रीका के डिजिटल परिवर्तन, ऊर्जा परिवर्तन और क्षमता निर्माण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया.
उन्होंने कहा, “आज, हमने न केवल एक वाइव्रेंट और डेवलपमेंट कॉरपोरेशन बनाया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उज्जवल भविष्य को आकार देने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं. विश्वास और पारदर्शिता पर हमारा साझा जोर भारत और अफ्रीका को एक स्वाभाविक साझेदार बनाता है.”
सीआईआई के अध्यक्ष राजीव मेमानी ने कहा कि भारत-अफ्रीका संबंध व्यापार से कहीं आगे जाते हैं, जो दोनों क्षेत्रों को वैश्विक दक्षिण के चैंपियन के रूप में स्थापित करता है.
टीवीएस मोटर कंपनी के सुदर्शन वेणु और केयर रेटिंग्स अफ्रीका के सौरव चटर्जी सहित उद्योग जगत के लीडर्स ने गतिशीलता, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) की फंडिंग और एक अफ्रीकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के निर्माण में अवसरों पर जोर दिया.
मोरक्को के ऊर्जा परिवर्तन मंत्रालय के महासचिव, मोहम्मद ओहमद ने नवीकरणीय ऊर्जा, क्षेत्रीय एकीकरण और स्थानीय प्रौद्योगिकी अनुकूलन में भारत-अफ्रीका के बीच गहन सहयोग को जरूरी बताया.
इस वर्ष के सम्मेलन में 17 गैर-अफ्रीकी देशों सहित 64 देशों के 1,600 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जो भारत-अफ्रीका सहयोग में बढ़ती वैश्विक रुचि को दर्शाता है.
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एबीएस/
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