बीजिंग, 15 अगस्त . वर्ष 1931 से 1945 तक चीनी लोगों ने जापानी आक्रमणकारियों के खिलाफ खूनी और मुश्किल लड़ाई लड़ी. 14 साल तक चीन का आधा क्षेत्र जापानी आक्रमणकारियों द्वारा रौंदा गया, 930 से अधिक शहरों पर कब्जा कर लिया गया, और 3.5 करोड़ से अधिक सैनिक और नागरिक हताहत हुए. इससे 1 खरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान और 5 खरब डॉलर का अप्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान हुआ. इसके बावजूद, अनगिनत पत्र बड़ी मुश्किल से वितरित किए गए.
इस साल चीनी जनता के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध और विश्व फासीवाद विरोधी युद्ध की विजय की 80वीं वर्षगांठ है. इन पीले पड़े अक्षरों में हम राष्ट्रीय संकट के सामने आम लोगों का विश्वास और जिम्मेदारी महसूस कर सकते हैं.
जांग ज़िज्वोंग चीनी जनता के जापानी अतिक्रमण विरोधी युद्ध में शहीद होने वाले सर्वोच्च पद के चीनी जनरल थे, और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फासीवाद-विरोधी मित्र देशों की सेनाओं में युद्ध में शहीद होने वाले सर्वोच्च पद के अधिकारी भी थे. जापानी अतिक्रमण विरोधी युद्ध की शुरुआत से ही, उन्होंने “देश के लिए मर मिटने” का दृढ़ निश्चय कर लिया था. हर बार जब वे युद्ध के मैदान में जाते, तो बहादुरी और वीरता से लड़ते. हर युद्ध से पहले, वे एक पत्र लिखते और लौटते समय उसे फाड़ देते.
मई 1940 में, चीनी सेना ने हूपेई में 1 लाख 50 हजार विशिष्ट जापानी सैनिकों का सामना किया. कई दिनों की खूनी लड़ाई के बाद, जांग ज़िज्वोंग और उनके शेष 1,500 से अधिक सैनिकों को 5,000 से अधिक जापानी सैनिकों ने घेर लिया. 16 मई को, जांग ज़िज्वोंग को जापानी सैनिकों ने कई गोलियां मारी और चाकू घोंप दिया. 49 वर्ष की आयु में वे शहीद हो गये. युद्ध की पूर्व संध्या पर, उन्होंने दो पत्र छोड़े. एक पत्र उनके साथियों के नाम था, जिन्हें वे अपना भाई मानते थे.
जांग ज़िज्वोंग की मृत्यु के बाद, चीनी सरकार ने उनका राजकीय अंतिम संस्कार किया. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं माओत्से तुंग, झू दे और झोउ एनलाई ने शोक संदेश लिखे: “पूरी निष्ठा से देश की सेवा करो,” “न्याय के लिए मरो,” और “देश के लिए बलिदान दो.”
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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