नई दिल्ली, 6 अप्रैल . चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन महानवमी और रामनवमी देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. दिल्ली के कालकाजी मंदिर से लेकर संभल और फर्रुखाबाद तक, मां सिद्धिदात्री की पूजा और कन्या पूजन के साथ श्रद्धालु उत्साहित हैं.
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन राम जन्मोत्सव की भी धूम है. राम भक्त हर्षोल्लास से इस दिवस को मना रहे हैं. उत्तर प्रदेश के संभल में महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की गई. प्राचीन सिद्धपीठ चामुंडा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं ने विधिवत दर्शन किए. कन्या पूजन हुआ, जहां नौ कन्याओं को हलवा-पुरी का प्रसाद और चुनरी दी गई.
निशा नाम की एक महिला ने कहा, “नवरात्रि में मां के नौ रूपों की पूजा होती है. नौ दिन मंदिर और घर सजाए जाते हैं. आज कन्या पूजन के बाद व्रत खोला गया. मेरी शादी के बाद यह पहली रामनवमी है, मैं पति के साथ जुलूस देखने जाऊंगी.”
महंत मुरली सिंह ने मंदिर के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया, “हमारे चामुंडा मंदिर में रामनवमी बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है. मंदिर को लाइटों से सजाया गया है. हजारों श्रद्धालु दर्शन को आ रहे हैं. यहां पृथ्वीराज चौहान भी पूजा करने आए थे. ये उनकी कुलदेवी मानी जाती हैं. अखंड ज्योत हिमाचल के ज्वाला देवी मंदिर से आती है. “
वहीं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कालकाजी मंदिर में मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. सुबह से ही मंदिर में लंबी कतारें लगी हैं.
भक्तों का कहना है, “भीड़ बहुत है, लेकिन मां के दर्शन सबको हो रहे हैं.” मंदिर के महंत ने बताया, “आज मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जिनका पूजन यक्ष, गंधर्व, मानव, देवता और ऋषि सभी करते हैं. आज कन्या पूजन के साथ नवरात्र का व्रत पूरा होता है.” महिलाएं कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद ले रही हैं.
फर्रुखाबाद जिले में रामनवमी का त्योहार जोश के साथ मनाया जा रहा है. प्राचीन महाभारत कालीन गुरुगांव देवी मंदिर में कन्या पूजन के साथ उत्सव चल रहा है.
पुजारी अंकित ने बताया, “इस शक्तिपीठ में मां मंगला गौरी की मूर्ति की स्थापना गुरु द्रोणाचार्य ने की थी. महाभारत काल में कम्पिल जाते वक्त उन्होंने यहां मूर्ति स्थापित की. मान्यता है कि सच्चे मन से 40 दिन तक यहां हाजिरी लगाने से हर मनोकामना पूरी होती है.”
यह मंदिर थाना मऊदरवाजा क्षेत्र में कायमगंज रोड पर स्थित है. यहां फर्रुखाबाद और आसपास के जिलों जैसे समताबाद, गायनगंज और बेटा से भक्त दर्शन को आते हैं.
पुजारी ने आगे कहा, “कहा जाता है कि राम यहां रुके थे और उनका सिंदूर यहां गिरा था. इस मंदिर को करीब 5,000 साल पुराना माना जाता है. आज आखिरी दिन लाखों श्रद्धालु आएंगे. यहां कन्या पूजन और 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है.” पुलिस प्रशासन ने भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. महिलाओं और बच्चों की सुविधा का खास ध्यान रखा जा रहा है.
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एसएचके/केआर
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