नई दिल्ली, 30 अप्रैल . कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना कराने की घोषणा करने के कदम को सही बताया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है कि जातिगत जनगणना की हम पहले दिन से मांग कर रहे थे.
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लगातार जातिगत जनगणना की मांग उठाई थी, जिसके सबसे मुखर पक्षधर राहुल गांधी रहे. आज केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की है. यह सही कदम है जिसकी हम पहले दिन से मांग कर रहे थे.”
उन्होंने कहा, “मैंने कई बार इसे संसद में उठाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा. इंडिया गठबंधन के नेताओं ने भी कई बार जातिगत जनगणना की मांग की है और लोकसभा चुनाव में यह अहम मुद्दा बना. बार-बार पीएम मोदी सामाजिक न्याय की इस नीति को लागू करने से बचते रहे और विपक्ष पर समाज को बांटने का झूठा आरोप लगाते रहे. जातिगत जनगणना के अभाव में, सार्थक सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन अधूरा है, इसलिए यह सभी वर्गों के लिए जरूरी है.”
कांग्रेस नेता ने कहा, “जनगणना के लिए इस साल के बजट में भी केवल 575 करोड़ रुपये का आवंटन है, इसलिए यह सवाल मुनासिब है कि सरकार इसे कैसे और कब पूरा करेगी. कांग्रेस पार्टी यह मांग करती है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द, बजट का प्रावधान कर, जनगणना और जातिगत जनगणना का काम पूरी पारदर्शिता के साथ चालू करे. जातिगत जनगणना जरूरी है, हिस्सेदारी न्याय के बिना सबकी प्रगति अधूरी है.”
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जाति जनगणना को मंजूरी दे दी गई. सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया है. 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई. जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है.
उन्होंने कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा. तत्पश्चात एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी. इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाय, एक सर्वे कराना ही उचित समझा, जिसे सीईसीसी के नाम से जाना जाता है.
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