नई दिल्ली, 16 अप्रैल . भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना में कार्यरत पांच सैन्य कर्मियों को प्रतिष्ठित मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल से सम्मानित किया गया है. इनमें कर्नल रणवीर सिंह जामवाल, विंग कमांडर डी पांडा, राम पूनिया, राहुल कुमार पांडे और राम रतन जाट शामिल हैं.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को नई दिल्ली में सैन्य टोही, अन्वेषण और साहसिक सैन्य गतिविधियों के लिए इनमें से सैन्य कर्मियों को सम्मानित किया, जबकि कर्नल जामवाल एक मिशन में शामिल होने के कारण यहां उपस्थित नहीं हो सके. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के मुताबिक, यह सम्मान सशस्त्र बलों के कर्मियों को साहसी कारनामों को अंजाम देने के लिए प्रेरित करता है. साथ ही, यह मेडल वीरता, दृढ़ता और खोज की परंपरा को बनाए रखने के लिए भी प्रेरित और प्रोत्साहित करता है.
मेडल अर्जित करने वाले विंग कमांडर डी पांडा और सार्जेंट झूमर राम पूनिया भारतीय वायु सेना से हैं. राहुल कुमार पांडे और राम रतन जाट भारतीय नौसेना से हैं, जबकि कर्नल जामवाल आर्मी से हैं.
मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल की स्थापना 03 जुलाई, 1888 को हुई थी. यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के संस्थापक, मेजर जनरल सर चार्ल्स मेटकाफ मैकग्रेगर की स्मृति में सैन्य अधिकारियों को यह मेडल दिया जाता है. मूल रूप से सैन्य टोही और खोजपूर्ण यात्राओं के कार्यों को मान्यता देने के उद्देश्य से इस पदक का दायरा स्वतंत्रता के बाद 1986 में सैन्य अभियानों और साहसिक गतिविधियों को शामिल करने के लिए बढ़ाया गया था.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सैन्य टोही और अन्वेषण सबसे महत्वपूर्ण मानदंड हैं. यह पदक सशस्त्र बलों, टेरीटोरियल आर्मी, रिजर्व बलों, राष्ट्रीय राइफल्स और असम राइफल्स के सभी रैंकों (सेवारत और सेवानिवृत्त) के लिए होता है. आज तक कुल 127 पदक प्रदान किए जा चुके हैं, जिनमें स्वतंत्रता से पहले के 103 पदक शामिल हैं.
इस पदक को जीतने वालों में कैप्टन एफई यंगहसबैंड (1890), मेजर जनरल ऑर्डे चार्ल्स विंगेट (1943), मेजर जेडसी बख्शी, वीआरसी (1949), सियाचिन ग्लेशियर अन्वेषण (1978-81) के लिए कर्नल नरिंदर कुमार शामिल हैं. एकल वैश्विक परिक्रमा के लिए कमांडर दिलीप डोंडे और लेफ्टिनेंट कमांडर अभिलाष टॉमी भी यह मेडल जीतने वाले सैन्य अधिकारियों में शामिल हैं.
इस कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ द्वारा नायब सूबेदार चुन्नी लाल (एसी, वीआरसी, एसएम) के जीवन और वीरतापूर्ण यात्रा पर एक प्रेरणादायक वृत्तांत, ‘ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रेव’ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया. लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ (सेवानिवृत्त) इस पुस्तक के लेखक हैं. वह भारतीय सेना के चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ रह चुके हैं.
जनरल अनिल चौहान ने इस पुस्तक को लिखने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ की सराहना की. इस पुस्तक में लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने एक सैनिक की व्यक्तिगत उथल-पुथल, विपरीत परिस्थितियों में उनके अडिग संकल्प और उनकी अदम्य भावना का जीवंत और हृदयस्पर्शी चित्रण किया है. यह पुस्तक एक वीर सैनिक को एक मार्मिक श्रद्धांजलि है और वर्दीधारी पुरुषों और महिलाओं द्वारा की गई निस्वार्थ सेवा की याद दिलाती है.
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस समारोह में अन्वेषण, बहादुरी और राष्ट्र की सेवा में भारतीय सशस्त्र बलों की स्थायी विरासत पर प्रकाश डाला गया. साथ ही, उन कहानियों का जश्न भी मनाया गया जो भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी.
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जीसीबी/डीएससी
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