नई दिल्ली। त्योहारी सीजन से पहले देश के करोड़ों उपभोक्ताओं और कारोबारियों के लिए राहत भरी खबर आने की संभावना है। सितंबर में प्रस्तावित GST काउंसिल की बैठक में ‘नेक्स्ट-जेनरेशन GST रिफॉर्म्स’ पर सहमति बनने की उम्मीद है। इन बदलावों का असर आम लोगों की रसोई से लेकर हेल्थ पॉलिसी और व्यापार की लागत तक महसूस किया जा सकेगा।
12% GST स्लैब हो सकता है खत्म
वर्तमान GST ढांचे में 0%, 5%, 12%, 18% और 28% के टैक्स स्लैब लागू हैं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार 12% स्लैब को पूरी तरह समाप्त करने पर विचार कर रही है। इस स्थिति में 12% टैक्स वाले ज्यादातर उत्पादों को 5% स्लैब में लाया जाएगा। इसमें प्रोसेस्ड फूड (मक्खन, घी, सॉस), मोबाइल फोन के कुछ मॉडल, छाता और सिलाई मशीन जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं। परिणामस्वरूप इनकी कीमतें सीधे तौर पर घट जाएंगी।
हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस में राहत के संकेत
बैठक में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर मौजूदा 18% GST को घटाकर 5% या शून्य करने का प्रस्ताव भी आ सकता है। इससे पॉलिसी प्रीमियम में उल्लेखनीय कमी आएगी और ज्यादा लोग बीमा लेने के लिए प्रेरित होंगे।
जरूरी वस्तुओं पर टैक्स कटौती
त्योहारी सीजन में महंगाई से राहत देने के उद्देश्य से रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं पर GST दर कम करने पर भी चर्चा होगी। किन वस्तुओं को इस सूची में शामिल किया जाएगा, इसका निर्णय बैठक के बाद स्पष्ट होगा।
कारोबारियों के लिए ITC नियम होंगे आसान
वर्तमान में कुछ सामानों और सेवाओं पर चुकाए गए GST का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) कारोबारियों को वापस नहीं मिल पाता, जिससे उनकी पूंजी फंस जाती है। ‘ब्लॉक्ड ITC’ नियमों में ढील देने का प्रस्ताव MSMEs और छोटे व्यापारियों के नकदी प्रवाह को बढ़ावा देगा।
अन्य अहम प्रस्ताव
—GST रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 3 दिन में पूरी करने का लक्ष्य
—रिफंड प्रक्रिया को तकनीकी साधनों से तेज और ऑटोमेटिक बनाना
—कोई नया सेस नहीं, केवल कुछ मौजूदा सेस के नाम बदलना
विशेषज्ञों की राय
वित्त विशेषज्ञ मानते हैं कि दरों में कमी से त्योहारी सीजन में खपत बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग और रौनक आएगी। लंबे समय में इससे टैक्स कलेक्शन में भी बढ़ोतरी होगी। ITC नियमों में सुधार से कारोबारियों की लागत घटेगी और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर किए गए वादे के बाद, सितंबर की यह बैठक GST 2.0 की शुरुआत साबित हो सकती है। 12% स्लैब हटाना, इंश्योरेंस पर टैक्स घटाना और जरूरी वस्तुओं पर राहत जैसे कदम आम जनता और कारोबारियों दोनों के लिए गेमचेंजर बन सकते हैं।
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