जयपुर। जिला उपभोक्ता आयोग, तृतीय ने ग्राहक को जूतों के साथ कंपनी का नाम लिखा कैरी बैग देने के बदले 6 रुपए वसूलने को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस और सेवादोष माना है। इसके साथ ही आयोग ने बाटा इंडिया पर 61 हजार रुपए हर्जाना लगाते हुए उसे निर्देश दिया है कि वह परिवादी से कैरी बैग के लिए वसूले 6 रुपए 9 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाए। आयोग के अध्यक्ष देवेन्द्र मोहन माथुर व सदस्य पवन कुमार भारद्वाज ने यह आदेश नीना पारीक के परिवाद पर दिए।
आयोग ने कहा कि कैरी बैग पर बाटा का विज्ञापन था और ऐसे में वह नि:शुल्क होना चाहिए था। मामले के अनुसार परिवादी ने 27 फरवरी, 2024 को विपक्षी के शू स्टोर से एक जोड़ी जूता व एक जोड़ी स्लीपर 4698 रुपए में खरीदा, लेकिन विपक्षी ने बिल 4704 रुपए का दिया। इसमें 6 रुपए कैरी बैग के लिए वसूले गए थे। परिवादिया ने जब विपक्षी से आग्रह किया कि वह कैरी बैग की कीमत नहीं वसूले तो कर्मचारी ने कहा कि उन्हें बैग लेना ही होगा और इसकी कीमत भी देनी होगी।
मजबूर होकर उसने कैरी बैग की कीमत सहित पूरा पेमेंट कर दिया। विपक्षी की इस कार्रवाई को उपभोक्ता आयोग में चुनौती देते हुए कहा कि विपक्षी कंपनी कैरी बैग पर अपना विज्ञापन देकर ग्राहकों से उसकी कीमत वसूल रहा है और अपने उत्पाद का प्रचार भी कर रहा है। ऐसा करना ग्राहकों के साथ न केवल ठगी है बल्कि अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस भी है, इसलिए उसे विपक्षी कंपनी से हर्जा खर्चा सहित कैरी बैग के लिए वसूली राशि दिलवाई जाए। गौरतलब है कि प्रिटेंड बैग की कीमत वसूलने पर जिला उपभोक्ता आयोग बाटा कंपनी पर पूर्व में भी दस हजार रुपए का हर्जाना लगा चुका है।
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