कांग्रेस और पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के बीच बीते दिनों बयानों का आदान-प्रदान देखने को मिला है। इसी सिलसिले में कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सफाई देते हुए कहा कि कांग्रेस नेताओं के बीच किसी प्रकार की कोई कटुता या विरोध नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शशि थरूर पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और कांग्रेस परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि थरूर द्वारा 2016 को पाकिस्तान के खिलाफ पहली सर्जिकल स्ट्राइक के तौर पर बताना तथ्यात्मक रूप से गलत है।
मीडिया से बातचीत करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करने की कोशिश में थरूर की ओर से दी गई जानकारी गलत तथ्यों पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि यूपीए सरकार के दौरान भी आतंकियों को करारा जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक और अन्य तरह के ठिकानों पर हमले किए जाते रहे हैं।
सर्जिकल स्ट्राइक पर थरूर के दावे को बताया गलत
रणदीप सुरजेवाला ने दोहराया कि थरूर की सर्जिकल स्ट्राइक संबंधी टिप्पणी तथ्यों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान भी आतंकवादियों के खिलाफ कई बार सर्जिकल स्ट्राइक की थी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने महज रिकॉर्ड को ठीक किया है और यह कोई राजनीतिक मतभेद या विरोध का विषय नहीं है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार और भारतीय सेना ने आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है, और यह बात पहले भी स्पष्ट की जा चुकी है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह स्वयं इस पर बात कर चुके हैं और थरूर ने भी अपनी पुस्तकों में इन सर्जिकल स्ट्राइक का उल्लेख किया है। सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश और पवन खेड़ा ने थरूर के बयान पर आपत्ति नहीं जताई, बल्कि महज ऐतिहासिक तथ्यों को सही करने का कार्य किया है।
थरूर ने पनामा में भारत के दृष्टिकोण में बदलाव का उल्लेख किया
शशि थरूर, जो कि इन दिनों ऑल पार्टी डेलीगेशन का नेतृत्व कर रहे हैं, पनामा में आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को लेकर विभिन्न भागीदार देशों को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भारत का रुख आतंकवाद को लेकर काफी सख्त हुआ है और अब आतंकियों को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
थरूर ने अपने भाषण में वर्ष 2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक का उल्लेख किया और कहा कि इन कार्रवाइयों ने यह संदेश दिया कि भारत अब पहले जैसा रवैया नहीं अपनाता। उन्होंने कहा कि उरी हमले के बाद जब भारत ने पहली बार नियंत्रण रेखा को पार कर आतंकी ठिकानों और लॉन्च पैड्स को निशाना बनाया, वह एक नया कदम था। उन्होंने इसे एक ऐसी कार्यवाही बताया जो पहले कभी नहीं हुई थी। यहां तक कि कारगिल युद्ध के दौरान भी भारत ने एलओसी पार नहीं की थी। थरूर ने कहा कि उरी सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए भारत ने यह रुख बदला और फिर जनवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद एक और बड़ा कदम उठाया।
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