मालेगांव ब्लास्ट (2008) केस में लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों को 31 जुलाई 2025 को एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया।
कर्नल पुरोहित की पत्नी अपर्णा का आरोप है कि एटीएस ने उन्हें गैरकानूनी तरीके से उठाया, थर्ड डिग्री टॉर्चर किया और घुटने तोड़ दिए। उनका दावा है कि कर्नल पुरोहित 2005 से 2007 के बीच आर्मी इंटेलिजेंस में रहकर फेक करेंसी रैकेट, जाकिर नाइक, दाऊद इब्राहिम और आईएसआई से जुड़ी रिपोर्ट बना रहे थे।
एटीएस की शुरुआती जांच हेमंत करकरे के नेतृत्व में हुई, जिसमें एक मोटरसाइकिल का सुराग मिला जो साध्वी प्रज्ञा के नाम पर थी। इस सुराग से एजेंसी ने प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी और अन्य तक जांच बढ़ाई। अभिनव भारत संगठन और सुधाकर द्विवेदी का नाम भी सामने आया।
2009-10 में केस एनआईए को ट्रांसफर हुआ। आरोपियों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज रहा और वे लंबे समय तक जेल में रहे। 2017 में साध्वी प्रज्ञा को सेहत खराब होने पर जमानत मिली, 2019 में वे भोपाल से बीजेपी सांसद बनीं।
सालों तक चली सुनवाई में कई गवाह बयान से पलट गए। अंततः 31 जुलाई 2025 को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया।