प्रकृति ने हमें कई ऐसी औषधीय सब्जियां दी हैं, जिनके फायदे हम में से बहुत से लोग नहीं जानते। उन्हीं में से एक है कंटोला या कांटोल जिसे कुछ जगहों पर झिंगली, भट ककोड़ा या बिचिंगा भी कहा जाता है। यह छोटी, कांटेदार और हल्के पीले या हरे रंग की सब्जी होती है, जो देखने में भले ही अनआकर्षक लगे, लेकिन इसके अंदर सेहत का खजाना छुपा होता है।
कंटोला: एक आयुर्वेदिक खजाना
कंटोला को पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में काफी महत्व दिया गया है। यह सब्जी न सिर्फ पाचन को बेहतर करती है, बल्कि अस्थमा, डायबिटीज़ और दिल की बीमारियों में भी फायदेमंद मानी जाती है। इसमें फाइबर, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
अस्थमा के लिए कैसे फायदेमंद है कंटोला?
कंटोला में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व श्वसन तंत्र को साफ करते हैं और बलगम जमने से रोकते हैं। इसका नियमित सेवन सांस की नली में सूजन को कम करता है, जिससे अस्थमा के मरीजों को राहत मिलती है। यह फेफड़ों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है और सांस लेने में होने वाली तकलीफ को कम करता है।
दिल की सेहत के लिए वरदान
कंटोला कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है और धमनियों में ब्लॉकेज बनने से रोकता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट और फाइटो-न्यूट्रिएंट्स दिल को मजबूत बनाते हैं और हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी समस्याओं से बचाते हैं।
अन्य फायदे भी कम नहीं
कैसे करें सेवन?
- इसे भूनकर, भरवा बनाकर या हल्के मसाले में सब्ज़ी की तरह पकाकर खाया जा सकता है।
- हफ्ते में 2-3 बार इसका सेवन करने से शरीर को धीरे-धीरे इसके फायदे मिलने लगते हैं।
किसे नहीं खाना चाहिए?
- गर्भवती महिलाओं और अत्यधिक कमज़ोर पाचन वाले लोगों को इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से गैस या अपच जैसी दिक्कत हो सकती है।
कंटोला जैसी सब्जियां आमतौर पर बाजार में कम दिखाई देती हैं, लेकिन इनके फायदे अनगिनत हैं। यह एक सस्ता, प्राकृतिक और प्रभावी तरीका है अस्थमा और दिल की बीमारियों से खुद को सुरक्षित रखने का। अगर आप अपनी डाइट में सेहत और स्वाद दोनों का संतुलन चाहते हैं, तो कंटोला को आज से ही शामिल करें।
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