नई दिल्ली: बुधवार को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की फ्लाइट 6E-2142 उस समय सुर्खियों में आ गई, जब खराब मौसम के बीच विमान पर बिजली गिरने की घटना हुई। इस हादसे ने यात्रियों के बीच हड़कंप मचा दिया, लेकिन पायलट की सूझबूझ और आधुनिक तकनीक के दम पर विमान श्रीनगर हवाई अड्डे पर सुरक्षित उतर गया। हालांकि, इस घटना में विमान का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। इस घटना के बाद कई लोगों के मन में ये सवाल आ रहा है कि जब आसमान से बिजली विमान पर गिरती है, तो वास्तव में क्या होता है? आइए इसे समझते हैं। क्या होता है जब विमान पर बिजली गिरती है?आकाशीय बिजली का नाम सुनते ही मन में एक डरावना दृश्य उभरता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि विमान बिजली के प्रहार को झेलने के लिए खास तौर पर डिजाइन किए जाते हैं? आधुनिक विमानों की संरचना और सुरक्षा सिस्टम इतने एडवांस हैं कि बिजली का प्रभाव आमतौर पर यात्रियों तक नहीं पहुंचता। विमान की सुरक्षा के पीछे की साइंसविमान की बाहरी परत, जो आमतौर पर एल्यूमिनियम जैसी चालक धातु से बनी होती है। ये एक खास 'कंडक्टिव कोटिंग' से लैस होते होते हैं। यह कोटिंग बिजली को विमान की बाहरी सतह पर ही दूसरी दिशा में डायरेक्ट कर देती है, जिससे वह विमान के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचकर बाहर निकल जाती है। यात्रियों की सुरक्षा का खास ख्यालइस तरह, बिजली विमान को छूती जरूर है, लेकिन इसके भीतरी हिस्सों, जैसे कॉकपिट, यात्री केबिन, या ईंधन टैंक तक नहीं पहुंचती। यानी विमान का डिजाइन इस तरह किया जाता है कि बिजली का प्रभाव यात्रियों तक नहीं पहुंचता। कॉकपिट से लेकर यात्री सीट तक, सब कुछ फैराडे केज के सिद्धांत पर आधारित होता है, जिससे बिजली बाहर की सतह पर ही रहती है। इस वजह से यात्रियों को न तो झटका लगता है और न ही करंट का कोई अनुभव होता है।हालांकि, बिजली का प्रहार विमान की बाहरी सतह पर छोटे-मोटे जलने के निशान या खरोंच छोड़ सकता है। दिल्ली-श्रीनगर फ्लाइट के मामले में, बिजली के साथ-साथ ओलावृष्टि ने विमान के नोज को नुकसान पहुंचाया, जो एक असामान्य स्थिति थी। कितनी बार होती है ऐसी घटनाएं?आंकड़ों के अनुसार, औसतन हर कमर्शियल विमान को हर एक हजार उड़ान घंटों में एक बार बिजली का सामना करना पड़ता है। यानी, एक विमान अपने जीवनकाल में कई बार बिजली की चपेट में आ सकता है। फिर भी, आधुनिक सुरक्षा मानकों के कारण ऐसी घटनाएं शायद ही कभी गंभीर दुर्घटना का कारण बनती हैं। लैंडिंग के बाद जांचबिजली गिरने के बाद, विमान के लैंड करने पर ग्राउंड इंजीनियर इसकी गहन जांच करते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सेंसर, वायरिंग, या अन्य सिस्टम पर कोई नुकसान तो नहीं हुआ। अगर जरूरत पड़ती है, तो क्षतिग्रस्त हिस्सों को बदला जाता है। विमान के पंख, पूंछ, और नोज पर लगे 'स्टैटिक डिस्चार्जर्स' बिजली को सुरक्षित रूप से बाहर निकालने में मदद करते हैं। साथ ही, ईंधन टैंकों को विशेष इन्सुलेशन और संचार उपकरणों को डबल शील्डिंग से सुरक्षित किया जाता है। श्रीनगर जा रही फ्लाइट पर क्या हुआ था? यात्रियों ने बतायाबुधवार शाम को इंडिगो की फ्लाइट 6E-2142 ने दिल्ली से श्रीनगर की उड़ान पर थी, जब श्रीनगर के ऊपर मौसम ने अचानक करवट ली। तेज हवाओं, भारी बारिश और ओलावृष्टि के बीच विमान को तीव्र टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा। इसी दौरान बिजली की एक तेज चमक के साथ विमान पर जोरदार प्रहार हुआ। यात्रियों ने बताया कि एक तेज आवाज के साथ विमान में झटके महसूस हुए, जिससे केबिन में चीख-पुकार मच गई। कुछ यात्री डर के मारे प्रार्थना करने लगे, जबकि बच्चे रोने लगे।पायलट ने तुरंत श्रीनगर एयर ट्रैफिक कंट्रोल को आपात स्थिति की सूचना दी और सूझबूझ के साथ विमान को शाम 6:30 बजे सुरक्षित लैंड कराया। फ्लाइट में सवार सभी 227 यात्री और चालक दल के सदस्य सुरक्षित रहे। हालांकि, जांच में पता चला कि बिजली और ओलावृष्टि के प्रभाव से विमान का अगला हिस्सा, खासकर नोज, क्षतिग्रस्त हो गया। इंडिगो ने विमान को तकनीकी जांच के लिए अस्थायी रूप से उड़ान से हटा लिया है।
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