नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने शुक्रवार को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत बनाई जा रही बिहार की नई वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट पब्लिकेशन कर दिया। यह लिस्ट आयोग ने अपनी और बिहार सीईओ की वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इस लिस्ट में 7.24 करोड़ से अधिक वोटरों के नाम है। चुनाव आयोग का कहना है कि जितने वोटरों ने भी एनुमरेशन फार्म भरकर जमा कराए थे। उन सभी के नाम इस लिस्ट में जोड़े गए हैं। ऐसे 65 लाख वोटरों के नाम इस लिस्ट में नहीं हैं। जो मर चुके हैं, परमानेंट शिफ्ट हो चुके हैं, लापता हैं या फिर डुप्लिकेट हैं।
जिसका नाम वोटर लिस्ट में नहीं आया वह क्या करेगा?
आयोग का कहना है कि अब ऐसा कोई भी शख्स जिसका नाम इस वोटर लिस्ट में आने से रह गया है। वह एक सितंबर तक अपने दावे और आपत्तियां आयोग से कर सकता है। जेनवन पाए जाने पर उसका नाम वोटर लिस्ट में जोड़ दिया जाएगा। आयोग ने यह भी कहा है कि वह आने वाले दिनों से तमाम राजनीतिक पार्टियों और लोगों के दावे और आपत्तियों को भी सार्वजनिक करेगा। ताकि लोगों को यह पता लग सके कि आयोग ने जो लिस्ट तैयार की है। उसमें कहां कमी रह गई। आयोग के मुताबिक, इस वोटर लिस्ट को 12 राजनीतिक पार्टियों को भी दिया गया है।
ताकि वह इस एक महीने में अपनी तरफ से लिस्ट को चेक करके आयोग को यह बता सकें कि इसमें कितने जेनवन वोटरों के नाम जुड़ने से रह गए हैं। आयोग का कहना है कि इतने कम समय में उसने सात करोड़ 24 लाख से अधिक वोटरों को एनुमरेशन फार्म बांटे और कलेक्ट किए। यह अपने आप में बड़ा काम था। एक अगस्त को इसका ड्राफ्ट पब्लिकेशन कर दिया गया है।
एक महीने का समय दावे और आपत्ति के लिए
एक महीने का समय दावे और आपत्तियों के लिए रहेगा। इस दौरान किसी का नाम वोटर लिस्ट में गलत जुड़ा है या फिर जुड़ नहीं पाया है। ऐसे तमाम वोटर आयोग से इसकी शिकायत कर सकते हैं। साथ ही जिन-जिन वोटरों के भी सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट लगने से रह गए हैं। उनके दस्तावेज भी इस दौरान ढूंढकर अपलोड किए जाएंगे।
जिसका नाम वोटर लिस्ट में नहीं आया वह क्या करेगा?
आयोग का कहना है कि अब ऐसा कोई भी शख्स जिसका नाम इस वोटर लिस्ट में आने से रह गया है। वह एक सितंबर तक अपने दावे और आपत्तियां आयोग से कर सकता है। जेनवन पाए जाने पर उसका नाम वोटर लिस्ट में जोड़ दिया जाएगा। आयोग ने यह भी कहा है कि वह आने वाले दिनों से तमाम राजनीतिक पार्टियों और लोगों के दावे और आपत्तियों को भी सार्वजनिक करेगा। ताकि लोगों को यह पता लग सके कि आयोग ने जो लिस्ट तैयार की है। उसमें कहां कमी रह गई। आयोग के मुताबिक, इस वोटर लिस्ट को 12 राजनीतिक पार्टियों को भी दिया गया है।
ताकि वह इस एक महीने में अपनी तरफ से लिस्ट को चेक करके आयोग को यह बता सकें कि इसमें कितने जेनवन वोटरों के नाम जुड़ने से रह गए हैं। आयोग का कहना है कि इतने कम समय में उसने सात करोड़ 24 लाख से अधिक वोटरों को एनुमरेशन फार्म बांटे और कलेक्ट किए। यह अपने आप में बड़ा काम था। एक अगस्त को इसका ड्राफ्ट पब्लिकेशन कर दिया गया है।
एक महीने का समय दावे और आपत्ति के लिए
एक महीने का समय दावे और आपत्तियों के लिए रहेगा। इस दौरान किसी का नाम वोटर लिस्ट में गलत जुड़ा है या फिर जुड़ नहीं पाया है। ऐसे तमाम वोटर आयोग से इसकी शिकायत कर सकते हैं। साथ ही जिन-जिन वोटरों के भी सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट लगने से रह गए हैं। उनके दस्तावेज भी इस दौरान ढूंढकर अपलोड किए जाएंगे।
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