अर्चना पूरन सिंह के करियर की जर्नी के बारे में तो सभी लोग जानते हैं, पर बहुत ही कम लोग उनके बचपन वाली जिंदगी और पैरेंट्स से वाकिफ होंगे। हाल ही अर्चना ने बड़े बेटे आर्यमन के व्लॉग में पिता के बारे में बात की, और बताया कि बचपन कैसा बीता। अर्चना ने यह भी बताया कि उनके पिता ने संजय गांधी का केस लड़ा था। वह एक जाने-माने क्रिमिनल लॉयर थे।
अर्चना पूरन सिंह ने देहरादून में रहने के दौरान अपने बचपन के कई किस्से सुनाए। एक्ट्रेस ने बताया कि उनके पिता चौधरी पूरन सिंह को अकसर ही रिश्वत मिलती थी। एक बार तो उनके घर कोई बोरा भरकर पैसे लेकर आ गया था। यह सुनकर आर्यमन हैरान रह गए।
अर्चना पूरन सिंह के पिता थे क्रिमिनल लॉयर, अंतिम संस्कार में पहुंचा था पूरा देहरादून
अर्चना पूरन सिंह ने बताया, 'हम बढ़िया-बढ़िया खाना खाते थे। हम बंगले में रहते थे। उनके पास इम्पाला और सारी फैंसी कारें थीं। पापा यानी तुम्हारे नाना संजय गांधी के भी वकील रह चुके थे। वह एक क्रिमिनल लॉयर थे। तुम मानोगे नहीं कि क्रिमिनल लॉयर होने के बावजूद वह इतने मासूम और दयालु थे, इतने ह्यमरस...मुझमें जो ह्यूमर है, वो उन्हीं से आया है। वह बहुत महान इंसान थे। जब वह गुजरे तो पूरा देहरादून आया था उनके अंतिम संस्कार में।'
नहीं चाहते थे बच्चे बनें वकील, संजय गांधी का भी लड़ा था केस
अर्चना ने आगे बताया, 'उन्हें सब 'कर्मयोगी' बोलते थे क्योंकि वह प्रोफेशनल थे और सिर्फ अपनी वकालत जानते थे। उन्होंने बड़े-बड़े अपराधियों को डिफेंड किया क्योंकि वह डिफेंस लॉयर थे। लेकिन वह नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे वकील बने। वो हमें बोलते थे कि तुममे से एक भी बच्चा वकील नहीं बनेगा, क्योंकि उन्हें पता था कि आपको अपना ईमान बेचना पड़ता है। आपको पता है कि उसने गलत किया, लेकिन फिर भी आत्मा बेचनी पड़ती है। तो ये चीज उन्हें बहुत प्रॉब्लम देती थी।'
संजय गांधी कौन थे और उन पर क्या आरोप थे?
मालूम हो कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी पर साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान कई आरोप लगे थे। उन पर जबरन नसबंदी करवाने ज्यादियां करने और सरकारी कामकाज में दखल देने का आरोप लगा था। यही नहीं, इमरजेंसी के बाद फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' के मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। यह फिल्म उन्हीं पर आधारित थी। संजय गांधी पर इस फिल्म के प्रिंट जलवाने का आरोप था।
जब नोटों से भरी बोरी लेकर पहुंच गई एक पार्टी, सुनाया किस्सा
अर्चना ने फिर बताया, 'बहुत बार ऐसा भी होता था कि अगर पापा ने एक पार्टी का केस ले लिया तो दूसरी पार्टी आती थी। एक बार तो वो बोरी में पैसे भरकर लाए थे पापा के लिए और कहा कि साहब, आप बस हल्के पड़ जाना इस केस में। मेरे पापा ने कहा कि आप उठिए यहां से। ये बोरी उठाइए, चलिए उठाइए यहां से और वो दरवाजा है ना, वहां से जाइए। उनमें ईमानदारी थी और उन्होंने मुझे ईमानदारी सिखाई।'
20 साल की उम्र में अकेले मुंबई आई थीं अर्चना पूरन सिंह
अर्चना पूरन सिंह ने कहा कि जो चीज या काम आपकी आत्मा को ठेस पहुंचाता है, वो कभी नहीं करना चाहिए। इसी बातचीत के दौरान, अर्चना ने यह भी बताया कि कैसे वह 20 साल की उम्र में अकेले ही मुंबई में एक्टर बनने आईं और फिल्म इंडस्ट्री में उनका कोई कनेक्शन नहीं था। उन्होंने अपने पहले विज्ञापन को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने धीरे-धीरे बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। अर्चना इन दिनों 'द ग्रेट इंडियन कपिल शो 3' में नजर आ रही हैं।
अर्चना पूरन सिंह ने देहरादून में रहने के दौरान अपने बचपन के कई किस्से सुनाए। एक्ट्रेस ने बताया कि उनके पिता चौधरी पूरन सिंह को अकसर ही रिश्वत मिलती थी। एक बार तो उनके घर कोई बोरा भरकर पैसे लेकर आ गया था। यह सुनकर आर्यमन हैरान रह गए।
अर्चना पूरन सिंह के पिता थे क्रिमिनल लॉयर, अंतिम संस्कार में पहुंचा था पूरा देहरादून
अर्चना पूरन सिंह ने बताया, 'हम बढ़िया-बढ़िया खाना खाते थे। हम बंगले में रहते थे। उनके पास इम्पाला और सारी फैंसी कारें थीं। पापा यानी तुम्हारे नाना संजय गांधी के भी वकील रह चुके थे। वह एक क्रिमिनल लॉयर थे। तुम मानोगे नहीं कि क्रिमिनल लॉयर होने के बावजूद वह इतने मासूम और दयालु थे, इतने ह्यमरस...मुझमें जो ह्यूमर है, वो उन्हीं से आया है। वह बहुत महान इंसान थे। जब वह गुजरे तो पूरा देहरादून आया था उनके अंतिम संस्कार में।'
नहीं चाहते थे बच्चे बनें वकील, संजय गांधी का भी लड़ा था केस
अर्चना ने आगे बताया, 'उन्हें सब 'कर्मयोगी' बोलते थे क्योंकि वह प्रोफेशनल थे और सिर्फ अपनी वकालत जानते थे। उन्होंने बड़े-बड़े अपराधियों को डिफेंड किया क्योंकि वह डिफेंस लॉयर थे। लेकिन वह नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे वकील बने। वो हमें बोलते थे कि तुममे से एक भी बच्चा वकील नहीं बनेगा, क्योंकि उन्हें पता था कि आपको अपना ईमान बेचना पड़ता है। आपको पता है कि उसने गलत किया, लेकिन फिर भी आत्मा बेचनी पड़ती है। तो ये चीज उन्हें बहुत प्रॉब्लम देती थी।'
संजय गांधी कौन थे और उन पर क्या आरोप थे?
मालूम हो कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी पर साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान कई आरोप लगे थे। उन पर जबरन नसबंदी करवाने ज्यादियां करने और सरकारी कामकाज में दखल देने का आरोप लगा था। यही नहीं, इमरजेंसी के बाद फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' के मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। यह फिल्म उन्हीं पर आधारित थी। संजय गांधी पर इस फिल्म के प्रिंट जलवाने का आरोप था।
जब नोटों से भरी बोरी लेकर पहुंच गई एक पार्टी, सुनाया किस्सा
अर्चना ने फिर बताया, 'बहुत बार ऐसा भी होता था कि अगर पापा ने एक पार्टी का केस ले लिया तो दूसरी पार्टी आती थी। एक बार तो वो बोरी में पैसे भरकर लाए थे पापा के लिए और कहा कि साहब, आप बस हल्के पड़ जाना इस केस में। मेरे पापा ने कहा कि आप उठिए यहां से। ये बोरी उठाइए, चलिए उठाइए यहां से और वो दरवाजा है ना, वहां से जाइए। उनमें ईमानदारी थी और उन्होंने मुझे ईमानदारी सिखाई।'
20 साल की उम्र में अकेले मुंबई आई थीं अर्चना पूरन सिंह
अर्चना पूरन सिंह ने कहा कि जो चीज या काम आपकी आत्मा को ठेस पहुंचाता है, वो कभी नहीं करना चाहिए। इसी बातचीत के दौरान, अर्चना ने यह भी बताया कि कैसे वह 20 साल की उम्र में अकेले ही मुंबई में एक्टर बनने आईं और फिल्म इंडस्ट्री में उनका कोई कनेक्शन नहीं था। उन्होंने अपने पहले विज्ञापन को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने धीरे-धीरे बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। अर्चना इन दिनों 'द ग्रेट इंडियन कपिल शो 3' में नजर आ रही हैं।
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