जबलपुरः मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से चौंकाने वाला मामला सामने आया है। लिव इन में पहले 4 सालों तक पति-पत्नी की तरह रहे। इस बीच बच्चा भी पैदा कर लिया। फिर शादी करने का लालच देकर रेप करने की बात कहकर एफआईआर दर्ज करा दी थी। इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने एफआईआर को निरस्त कर दिया। पढ़िए कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया।लिव इन साथी पर की गई एफआईआर को जबलपुर हाईकोर्ट ने कैंसिल कर दिया। उन्होंने आदेश में कहा कि भौतिक परिस्थितियों पर विचार करते हुए ऐसे नहीं माना जा सकता है कि दोनों के बीच विवाह के झूठे वादे पर संबंध बने थे। दोनों ने साथ रहते हुए एक बच्चे को जन्म दिया है। भरण-पोषण और अन्य राहत का दावा करने के लिए महिला उचित कार्रवाई करने को स्वतंत्र है। क्या है मामलाजबलपुर निवासी वीरेंद्र वर्मा ने उसके ऊपर दर्ज हुए केस के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। उसने बताया कि अधारताल थाने में उसके खिलाफ बलात्कार की एफआईआर दर्ज की गई है। याचिका में कहा गया था कि एफआईआर के अनुसार शिकायत करने वाली महिला की आयु 32 साल है। उसके पति की साल 2021 में मृत्यु हो गयी थी। पति का दोस्त होने के कारण आवेदन का महिला के घर आना जाना था और मोबाइल पर बातचीत प्रारंभ हो गयी। सहमति से साथ रहने का लिया फैसलापति की मृत्यु के लगभग तीन महीने बाद आवेदन के उसके समक्ष शादी का प्रस्ताव भी रखा। दोनों ने सहमति से मई 2021 में शादी करने का निर्णय लिया था। इस दौरान दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हुए। दोनों पति-पत्नी की तरह लंबे समय तक साथ रहे और इस दौरान एक बच्चे का जन्म हुआ, जो लगभग सात माह का है। लेकिन आवेदक ने शादी करने से इनकार कर दिया। महिला ने आरोप लगाया कि शादी का झूठा आश्वासन देकर कई सालों से उसका शारीरिक शोषण करता रहा। महिला ने दर्ज कराई एफआईआरशिकायतकर्ता महिला ने शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ जनवरी 2025 में बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी। आवेदक की तरफ से तर्क दिया गया कि उसने शादी का कोई झूठा वादा नहीं किया। उसने बताया कि दोनों के बीच आपसी सहमति से वर्षों तक संबंध स्थापित रहे। कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों को देखकर स्पष्ट है कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां एक या दो बार शारीरिक संबंध विकसित हुए हों। दोनों के बीच संबंध कई वर्षों तक जारी रहे। इतने लंबे समय के बाद अगर ऐसी शिकायत दर्ज की जाती है, तो वह दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है। कोर्ट ने इस तर्क से खारिज की याचिकाएकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि मौजूदा तथ्यात्मक परिस्थितियों के आधार पर संबंध को विवाह के झूठे वादे पर विकसित होना नहीं माना जा सकता है। ऐसे आरोपों को कार्रवाई शुरू करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है। पक्षों के बीच संबंधों में कड़वाहट के कारण ऐसा हो सकते हैं। इस तरह बिना किसी ठोस सबूत के आपराधिक अभियोजन शुरू नहीं किया जा सकता है। एकलपीठ ने एफआईआर को निरस्त करते हुए महिला को उक्त स्वतंत्रता प्रदान की है।
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