नवादा: 1990 के दशक में, बिहार में उच्च जाति के कथित सामंतों और दबंगों के खिलाफ पिछड़ी जातियों ने विद्रोह किया। इसका फायदा लाल आतंक ने उठाया और बड़े पैमाने पर नरसंहारों को अंजाम दिया। खासतौर पर दो मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद यादव और बाद में नीतीश कुमार ने मंडल की राजनीति को आगे बढ़ाया। लेकिन नीतीश कुमार लालू यादव की तरह बोली से नहीं बल्कि अपने काम से आगे बढ़े। नीतीश कुमार ने स्थानीय निकायों में अति पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण और दलितों में महादलितों का वर्गीकरण कर दिया। रामविलास पासवान ने भी दलितों के बीच पासवान समुदाय को भी आवाज दी, जो राज्य की आबादी का लगभग 5% है। लेकिन अब बिहार की अर्थव्यवस्था और सामाजिक शक्तियों में बंटवारे के बाद सामंतों का चेहरा बदल चुका है। जो पहले पीड़ित थे अब वही सामंतों की भूमिका हैं। ये हम नहीं नवादा की 5 सीटों की ग्राउंड रिपोर्ट कहती है।
पहले जानिए सितंबर 2024 की घटना के बारे में
सितंबर 2024 में, नवादा शहर में एक दलित बस्ती को दूसरे दलित समुदाय के लोगों के एक समूह ने जला दिया था। आरोप है कि पासवानों ने जमीन विवाद को लेकर मुसहर और रविदास (महादलित) के लगभग 34 घरों पर हमला किया। पासवानों ने दावा किया कि उन्होंने असली मालिक से जमीन खरीदी है और यह उनकी है। घटना की सूचना मिलने पर, एनडीए सरकार ने महादलितों को 2.3 लाख रुपयों का मुआवजा दिया। इस कांड में आरोपी नौ पासवानों को गिरफ्तार किया गया। एक साल बीत चुका है, लेकिन जातिगत संघर्ष मतदान का आधार बना हुआ है। 45 वर्षीय सतेंद्र मांझी ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'हम अब भी डर में जी रहे हैं। मैं भूल नहीं सकता कि कैसे नंदू पासवान के साथ कुछ लोगों ने आकर हम पर हमला किया था। इलाके के पासवान अमीर हैं और अपनी ताकत दिखा रहे हैं। हम 40 साल से यहां रह रहे हैं। अब वे चाहते हैं कि हम कहीं और चले जाएं।' उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार ने हमारा ख्याल रखा और हमेशा हमारे परिवारों का साथ दिया है। हम उन्हें ही वोट देंगे।'
दलितों के बीच संघर्ष के बाद बदलता माहौल
दलितों के बीच संघर्ष के एक साल बाद, पुराने हालात भी बदल गए हैं। बस्ती की ज्यादातर महिलाएं जीविका स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। किशन रविदास की पत्नी सरिता देवी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'हममें से कुछ को सरकार से व्यवसाय शुरू करने के लिए 10,000 रुपये मिले हैं। हमारा वोट मोदी और नीतीश कुमार को जाएगा।' नवादा विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला जेडीयू की विभा देवी और आरजेडी के कौशल यादव के बीच है। विभा देवी आरजेडी की मौजूदा विधायक थीं, जो कौशल यादव के जेडीयू में रहते हुए जेडीयू में शामिल हो गईं और अब आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
पासवान बस्ती में हालात थोड़े अलग
महादलित बस्ती से लगभग एक किलोमीटर दूर प्राण बिगहा, पासवान बस्ती में स्थिति थोड़ी अलग है। यहां लगभग 20 घर हैं, सभी पक्के निर्माण क्षेत्र में समुदाय की आर्थिक समृद्धि को दर्शाते हैं। यहीं की मंजू देवी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'हमारे गांव से नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मेरे पति राजकुमार पासवान और बेटा सोनू अभी भी जेल में हैं। कोई भी हमारा समर्थन करने नहीं आया। चिराग पासवान हमारे नेता हैं, लेकिन वे कभी नहीं आए। हमने वोट न देने का फैसला किया है।' आग की घटना के मुख्य दोषी बताए जा रहे सेवानिवृत्त हवलदार नंदू पासवान (70) अभी भी जेल में हैं। सरिता भारती ने ईटी को बताया, 'मेरे ससुर बहुत बूढ़े हैं। हम उन्हें जमानत पर बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। सरकार ने हमारा पक्ष नहीं सुना है। जमीन हमारी है।'
नवादी की 5 विधानसभा सीटों के उम्मीदवार
नवादा जिले में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं और मुकाबला मुख्यतः जातीय समीकरण पर टिका है। राजद ने नवादा से कौशल यादव और गोविंदपुर से उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव को मैदान में उतारा है। लोजपा (रामविलास) ने विनीता भारती को मैदान में उतारा है। हालांकि रजौली की आरक्षित विधानसभा सीट पर राजद ने मौजूदा विधायक प्रकाश वीर का टिकट काटकर पिंकी भारती को मैदान में उतारा है, जबकि लोजपा (रामविलास) ने बिमल राजवंशी को मैदान में उतारा है। हिसुआ में मौजूदा कांग्रेस विधायक नीतू कुमारी का मुकाबला भाजपा उम्मीदवार अनिल सिंह से है। वारिसलीगंज में मौजूदा भाजपा विधायक अरुणा देवी का मुकाबला बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनीता महतो से है।
पहले जानिए सितंबर 2024 की घटना के बारे में
सितंबर 2024 में, नवादा शहर में एक दलित बस्ती को दूसरे दलित समुदाय के लोगों के एक समूह ने जला दिया था। आरोप है कि पासवानों ने जमीन विवाद को लेकर मुसहर और रविदास (महादलित) के लगभग 34 घरों पर हमला किया। पासवानों ने दावा किया कि उन्होंने असली मालिक से जमीन खरीदी है और यह उनकी है। घटना की सूचना मिलने पर, एनडीए सरकार ने महादलितों को 2.3 लाख रुपयों का मुआवजा दिया। इस कांड में आरोपी नौ पासवानों को गिरफ्तार किया गया। एक साल बीत चुका है, लेकिन जातिगत संघर्ष मतदान का आधार बना हुआ है। 45 वर्षीय सतेंद्र मांझी ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'हम अब भी डर में जी रहे हैं। मैं भूल नहीं सकता कि कैसे नंदू पासवान के साथ कुछ लोगों ने आकर हम पर हमला किया था। इलाके के पासवान अमीर हैं और अपनी ताकत दिखा रहे हैं। हम 40 साल से यहां रह रहे हैं। अब वे चाहते हैं कि हम कहीं और चले जाएं।' उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार ने हमारा ख्याल रखा और हमेशा हमारे परिवारों का साथ दिया है। हम उन्हें ही वोट देंगे।'
दलितों के बीच संघर्ष के बाद बदलता माहौल
दलितों के बीच संघर्ष के एक साल बाद, पुराने हालात भी बदल गए हैं। बस्ती की ज्यादातर महिलाएं जीविका स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। किशन रविदास की पत्नी सरिता देवी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'हममें से कुछ को सरकार से व्यवसाय शुरू करने के लिए 10,000 रुपये मिले हैं। हमारा वोट मोदी और नीतीश कुमार को जाएगा।' नवादा विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला जेडीयू की विभा देवी और आरजेडी के कौशल यादव के बीच है। विभा देवी आरजेडी की मौजूदा विधायक थीं, जो कौशल यादव के जेडीयू में रहते हुए जेडीयू में शामिल हो गईं और अब आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
पासवान बस्ती में हालात थोड़े अलग
महादलित बस्ती से लगभग एक किलोमीटर दूर प्राण बिगहा, पासवान बस्ती में स्थिति थोड़ी अलग है। यहां लगभग 20 घर हैं, सभी पक्के निर्माण क्षेत्र में समुदाय की आर्थिक समृद्धि को दर्शाते हैं। यहीं की मंजू देवी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'हमारे गांव से नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मेरे पति राजकुमार पासवान और बेटा सोनू अभी भी जेल में हैं। कोई भी हमारा समर्थन करने नहीं आया। चिराग पासवान हमारे नेता हैं, लेकिन वे कभी नहीं आए। हमने वोट न देने का फैसला किया है।' आग की घटना के मुख्य दोषी बताए जा रहे सेवानिवृत्त हवलदार नंदू पासवान (70) अभी भी जेल में हैं। सरिता भारती ने ईटी को बताया, 'मेरे ससुर बहुत बूढ़े हैं। हम उन्हें जमानत पर बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। सरकार ने हमारा पक्ष नहीं सुना है। जमीन हमारी है।'
नवादी की 5 विधानसभा सीटों के उम्मीदवार
नवादा जिले में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं और मुकाबला मुख्यतः जातीय समीकरण पर टिका है। राजद ने नवादा से कौशल यादव और गोविंदपुर से उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव को मैदान में उतारा है। लोजपा (रामविलास) ने विनीता भारती को मैदान में उतारा है। हालांकि रजौली की आरक्षित विधानसभा सीट पर राजद ने मौजूदा विधायक प्रकाश वीर का टिकट काटकर पिंकी भारती को मैदान में उतारा है, जबकि लोजपा (रामविलास) ने बिमल राजवंशी को मैदान में उतारा है। हिसुआ में मौजूदा कांग्रेस विधायक नीतू कुमारी का मुकाबला भाजपा उम्मीदवार अनिल सिंह से है। वारिसलीगंज में मौजूदा भाजपा विधायक अरुणा देवी का मुकाबला बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनीता महतो से है।
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