नई दिल्ली: अमेरिका से भारत का कच्चा तेल (क्रूड) आयात चार साल के ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। मैरीटाइम इंटेलिजेंस फर्म केप्लर ताजा आंकड़ों से इसका पता चलता है। इन आंकड़ों के अनुसार, भारत ने अक्टूबर में 5,68,000 बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) अमेरिकी तेल आयात किया। यह मार्च 2021 के बाद सबसे ज्यादा है। इससे भारत के कुल कच्चे तेल आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी 12% हो गई। इसने अमेरिका को उत्साहित कर दिया है। वह एनर्जी एक्सपोर्ट के लिए भारत को ग्रोथ इंजन के तौर पर देखने लगा है। अमेरिकी गृह मंत्री डग बर्गम ने कहा कि अमेरिकी ऊर्जा निर्यात के लिए भारत और अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाएं महत्वपूर्ण ग्रोथ मार्केट्स के रूप में उभर रही हैं।
केप्लर के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा, 'भारत के अक्टूबर के कच्चे तेल मिश्रण में साफ तौर पर बढ़ता डायवर्सिफिकेशन और अवसरवादी खरीद पैटर्न दिखाई देता है।' उन्होंने अमेरिका से आयात में बढ़ोतरी का श्रेय अनुकूल मूल्य अंतर और चीन की कमजोर मांग को दिया।
रूस की हिस्सेदारी अभी भी सबसे ज्यादा
अक्टूबर में भारत का कुल कच्चा तेल आयात 3% बढ़कर 48.1 लाख बीपीडी हो गया। इसमें रूस से लगातार सप्लाई (16.2 लाख बीपीडी, 34% हिस्सेदारी) सबसे ज्यादा रही। इसके बाद इराक (826,000 बीपीडी) और सऊदी अरब (669,000 बीपीडी) का स्थान रहा। ब्राजील से आयात दोगुने से ज्यादा हो गया। वहीं, नाइजीरिया और यूएई से तेल की मात्रा कम हो गई। यह दिखाता है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न स्रोतों से तेल खरीद रहा है। अमेरिकी तेल भी इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह अमेरिकी ऊर्जा निर्यातकों के लिए बड़ा अवसर है।
भारत में दिख रहा है 'ग्रोथ इंजन'
डग बर्गम ने बताया कि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत गैस उत्पादन बढ़ा रहा है। बहरीन में IISS मनामा डायलॉग 2025 में वह बोले कि अमेरिका में गैस उत्पादन लगातार बढ़ाने की अद्भुत क्षमता है। देश भर में शेल गैस के भंडार लगातार विकसित हो रहे हैं। बर्गम ने अपने राज्य का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वह वहां के गवर्नर थे तब तेल के मुकाबले गैस का उत्पादन दोगुना हो गया था। उनका तेल उत्पादन लगभग स्थिर रहा। लेकिन, गैस उत्पादन दोगुना हो गया।
बर्गम के मुताबिक, जापान, कोरिया, फिलीपींस जैसे प्रशांत देशों के सहयोगियों को एलएनजी की मांग है। इन देशों के पास लगभग कोई तेल और गैस संसाधन नहीं है। उन्होंने बताया कि अलास्का के एंकरेज से टोक्यो की दूरी सिर्फ आठ दिन है। बर्गम ने कहा कि अमेरिका एक सुरक्षित सप्लाई रूट प्रदान कर सकता है। उन्होंने आगे कहा, 'जब हम दुनिया भर के बाजारों को देखते हैं तो अफ्रीका, भारत, चीन में खपत लगातार बढ़ रही है। हर जगह बाजार हैं।'
केप्लर के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा, 'भारत के अक्टूबर के कच्चे तेल मिश्रण में साफ तौर पर बढ़ता डायवर्सिफिकेशन और अवसरवादी खरीद पैटर्न दिखाई देता है।' उन्होंने अमेरिका से आयात में बढ़ोतरी का श्रेय अनुकूल मूल्य अंतर और चीन की कमजोर मांग को दिया।
रूस की हिस्सेदारी अभी भी सबसे ज्यादा
अक्टूबर में भारत का कुल कच्चा तेल आयात 3% बढ़कर 48.1 लाख बीपीडी हो गया। इसमें रूस से लगातार सप्लाई (16.2 लाख बीपीडी, 34% हिस्सेदारी) सबसे ज्यादा रही। इसके बाद इराक (826,000 बीपीडी) और सऊदी अरब (669,000 बीपीडी) का स्थान रहा। ब्राजील से आयात दोगुने से ज्यादा हो गया। वहीं, नाइजीरिया और यूएई से तेल की मात्रा कम हो गई। यह दिखाता है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न स्रोतों से तेल खरीद रहा है। अमेरिकी तेल भी इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह अमेरिकी ऊर्जा निर्यातकों के लिए बड़ा अवसर है।
भारत में दिख रहा है 'ग्रोथ इंजन'
डग बर्गम ने बताया कि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत गैस उत्पादन बढ़ा रहा है। बहरीन में IISS मनामा डायलॉग 2025 में वह बोले कि अमेरिका में गैस उत्पादन लगातार बढ़ाने की अद्भुत क्षमता है। देश भर में शेल गैस के भंडार लगातार विकसित हो रहे हैं। बर्गम ने अपने राज्य का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वह वहां के गवर्नर थे तब तेल के मुकाबले गैस का उत्पादन दोगुना हो गया था। उनका तेल उत्पादन लगभग स्थिर रहा। लेकिन, गैस उत्पादन दोगुना हो गया।
बर्गम के मुताबिक, जापान, कोरिया, फिलीपींस जैसे प्रशांत देशों के सहयोगियों को एलएनजी की मांग है। इन देशों के पास लगभग कोई तेल और गैस संसाधन नहीं है। उन्होंने बताया कि अलास्का के एंकरेज से टोक्यो की दूरी सिर्फ आठ दिन है। बर्गम ने कहा कि अमेरिका एक सुरक्षित सप्लाई रूट प्रदान कर सकता है। उन्होंने आगे कहा, 'जब हम दुनिया भर के बाजारों को देखते हैं तो अफ्रीका, भारत, चीन में खपत लगातार बढ़ रही है। हर जगह बाजार हैं।'
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