Next Story
Newszop

नैनीताल की झील में ऐसा क्या दिखा..जिससे टेंशन में आ गया प्रशासन? कहां से आया, जांच हुई शुरू

Send Push
उत्तराखंड के फेमस नैनीताल तो आप जरूर गए होंगे। यहां की नैनी झील में पहली बार अनोखे मेहमान देखे गए हैं। इन्हें देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ जुटने लगी है। दरअसल यहां ठंडी सड़क एरिया में पहली बार कछुए देखने को मिल रहे हैं। इस दुर्लभ नजारे को देखने के लिए आसपास के लोगों के साथ पर्यटक भी आ रहे हैं। हालांकि वाइल्डलाइफ एक्सर्प्ट इन्हें लेकर चिंतित है। उनका मानना है कि कुछओं का झील के ठंडे पानी में बच पाना मुश्किल होगा।



आखिर ये कछुए कहां से आए, इस पर भी संदेह पैदा हो गया है। पर्यावरणविद बिजू लाल टीआर ने TOI से कहा है कि ये कछुए खुद तो यहां नहीं आ सकते। या तो किसी ने अपने पालतू कछुओं को यहां छोड़ दिया है या फिर ये तस्करों का काम है। आज सोमवार को विशेषज्ञ डॉक्टर्स की टीम इस बात को जानना चाहेगी कि ये कछुए यहां रह सकते हैं या फिर इन्हें किसी नई जगह शिफ्ट किया जाए।



कछुओं का घर नहीं है नैनी झील नैनी झील का इकोसिस्टम कछुओं के लिए मुफीद नहीं है और इसे उनका घर नहीं माना जाता है। देव सिंह बिष्ट कॉलेज के बोटनी प्रोफेसर ललित तिवारी का कहना है कि कछुओं का खून ठंडा होता है और वे इस क्षेत्र की कड़कती ठंड में नहीं रह पाएंगे। उन्होंने कहा कि इस झील में कभी भी कछुए नहीं देखे गए हैं। ये उनका घर है ही नहीं। इन्हें जबरन या फिर दुर्घटनावश इन्हें यहां लाया गया है।

image

रेस्क्यू ऑपरेशन की मांग पर्यावरणविद और वाइल्डलाइफ अधिकारियों ने अपील की है कि वन विभाग के साथ मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाए और इन्हें गर्म जगह पर शिफ्ट किया जाए। वही इनकी असली घर है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब नैनी झील के इको सिस्टम बैलेंस को बिगाड़ने की कोशिश की गई है। बाहर से लाई गई प्रजातियों की वजह से यहां अक्सर खतरा पैदा होता रहता है।



थाईलैंड और चीन की मछलियां झील में कुछ महीने पहले ही थाईलैंड और चीन से आने वाली मांगूर मछली को इस झील में देखा गया था। ये मछलियां बहुत ही आक्रामक होती हैं और यहां कि महसीर और सिल्वर मछलियों पर तो हमला करती ही हैं, झील में तैरने वालों पर भी अटैक कर देती हैं। 2008-09 में भी बड़ी संख्या में प्रशासन ने बाहरी मछलियों को झील से हटाया था क्योंकि पानी को प्रदूषित करती हैं। हालांकि झील से गामबुसिया मछलियों को 95 फीसदी तक कम कर दिया गया है। लेकिन मांगूर और बड़े सिर वाली मछलियां अभी भी चिंता का विषय बनी हुई हैं।

Loving Newspoint? Download the app now