सूरजमुखी के तेल को लंबे समय तक स्वस्थ विकल्प के रूप में प्रचारित किया गया है, क्योंकि इसमें पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (पीयूएफए) अधिक मात्रा में पाया जाता है। लेकिन हालिया शोध बताते हैं कि यह पूरी सच्चाई नहीं है। खासकर जब इसे रिफाइंड और बार-बार गर्म करके उपयोग किया जाता है, तब इसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। डॉ. वरुण बंसल इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में कंसल्टेंट कार्डियक सर्जन के अनुसार, सूरजमुखी के तेल में ओमेगा-6 फैट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो सीमित मात्रा में शरीर के लिए जरूरी हैं, लेकिन ज्यादा सेवन से सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ सकता है। क्या सूरजमुखी के तेल को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए?सूरजमुखी के तेल को लेकर सबसे बड़ी चिंता इसका ज्यादा ओमेगा-6 फैटी एसिड वाला होना है। शरीर के लिए ओमेगा-6 और ओमेगा-3 का सही संतुलन जरूरी होता है, लेकिन सूरजमुखी तेल पर आधारित डाइट में यह संतुलन गड़बड़ा सकता है। इसके अलावा, यह तेल गर्म होने पर जल्दी ऑक्सीडाइज हो जाता है, जिससे हानिकारक तत्व (जैसे टॉक्सिक एल्डिहाइड्स और हाइड्रोपेरॉक्साइड्स) बन सकते हैं। ये तत्व दिल की बीमारियों, न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों (जैसे अल्जाइमर) और यहां तक कि कैंसर से भी जुड़े हो सकते हैं। लंबे समय तक सूजन का खतरा बढ़ सकता हैशोध बताते हैं कि सूरजमुखी के तेल में मौजूद ओमेगा-6 फैटी एसिड्स शरीर में सूजन बढ़ाने वाले तत्वों, जैसे कि प्रोस्टाग्लैंडिंस और ल्यूकोट्रिएन्स के निर्माण में सहायक होते हैं। हालांकि, शरीर में सूजन संक्रमण या चोट से बचाव के लिए जरूरी होती है, लेकिन लंबे समय तक बनी रहने वाली सूजन कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है, जिनमें एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में रुकावट), हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियां शामिल हैं। इसके अलावा, जब सूरजमुखी के तेल को ज्यादा तापमान पर गर्म किया जाता है, तो इसमें ऑक्सीडेटिव बायप्रोडक्ट्स बनते हैं, जो ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं और हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकते हैं। शरीर में विषैले तत्वों का जमावअगर सूरजमुखी के तेल को बहुत ज्यादा देर तक गर्म किया जाता है (जैसे डीप फ्राइंग में), तो इसमें फ्री फैटी एसिड्स बढ़ जाते हैं, जिससे यह जल्दी खराब (रैनसिड) होने लगता है। इस प्रक्रिया में हानिकारक तत्व (जैसे टॉक्सिक एल्डिहाइड्स और हाइड्रोपेरॉक्साइड्स) बनते हैं, जो न्यूरोलॉजिकल बीमारियों और कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं से जुड़े हो सकते हैं। अगर एक ही तेल को बार-बार गर्म करके दोबारा इस्तेमाल किया जाए, तो यह समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। साथ ही, जब सूरजमुखी तेल गर्म होता है, तो उसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स (पॉलीफेनोल्स और फ्लैवानोल्स) खत्म हो जाते हैं, जो आमतौर पर ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाव में मदद करते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और पोषक तत्वों की कमीसूरजमुखी के तेल में पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड अधिक मात्रा में होते हैं, जो पोषक तत्वों की दृष्टि से अच्छे माने जाते हैं। लेकिन ज्यादा तापमान पर पकाने या लंबे समय तक धूप में रखने से यह जल्दी ऑक्सीडाइज हो जाते हैं। इस प्रक्रिया से फ्री रेडिकल्स बनते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह समस्या एजिंग (बुढ़ापा) को तेज कर सकती है और दिल की बीमारियों, न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों और अन्य क्रॉनिक डिजीज का कारण बन सकती है। कई शोधों में यह साबित हुआ है कि सूरजमुखी तेल में मौजूद पीयूएफए का अत्यधिक गर्म होना "लिपिड पेरोक्सिडेशन" को बढ़ाता है, जिससे शरीर में क्रॉनिक डिजीज का खतरा बढ़ सकता है। क्या करें? सही तेल का चुनाव क्यों जरूरी है?हालांकि, कई तेलों को स्वस्थ विकल्प माना जाता है, लेकिन उपभोक्ताओं को सावधानीपूर्वक उनका उपयोग करना चाहिए। सूरजमुखी तेल में ज्यादा ओमेगा-6 फैटी एसिड होता है, जो ऑक्सीडेशन के प्रति अधिक संवेदनशील होता है और गर्म करने पर हानिकारक तत्वों का निर्माण करता है। अगर लंबे समय तक दिल की सेहत सही बनाए रखना चाहते हैं, तो ऐसे तेलों का चुनाव करें जिनमें फैटी एसिड बैलेंस अच्छा हो और जो ऑक्सीडेशन के प्रति कम संवेदनशील हों।डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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