कहते हैं मासूम बच्चों के हाथ कोमल होते हैं। लेकिन अगर यही नजाकत उनके लिए अभिशाप बन जाए तो? जयपुर से ऐसे ही 7 बच्चों को छुड़ाया गया है, जिनकी जिंदगी नरक से भी बदतर बन गई थी। इन बच्चों से कथित तौर पर 15 से 18 घंटे तक काम कराया जाता। महज एक वक्त का खाना दिया जाता और मामूली मजदूरी। घुमाने के नाम पर बिहार से राजस्थान लाया गया और फिर झोंक दिया चूड़ियां बनाने के काम में।
लंबे शोषण के बाद दिवाली के दिन सोमवार को इनका सब्र जवाब दे गया और ये भाग निकले। इन्हें आसरा मिला कब्रिस्तान में। डरे-सहमे बच्चों ने वहीं पूरी रात बिताई। फिर स्थानीय लोगों की नजर इन पर पड़ी। इसके बाद पुलिस को बुलाया गया और इन्हें रेस्क्यू किया गया। ये 7 बच्चे इतने ज्यादा डरे हुए थे कि बार-बार पूछने के बाद भी मुंह नहीं खोल पा रहे थे। हालांकि बाद में इन्होंने अपनी आपबीती पुलिस और रेस्क्यू टीम के साथ साझा की।
बिहार से कैसे पहुंचे राजस्थानये बच्चे बिहार के रहने वाले हैं। वहां से घुमाने के नाम पर करीब 2 महीने पहले इन्हें राजस्थान की राजधानी जयपुर लाया गया। लेकिन यहां इन्हें चूड़ियां बनाने की फैक्ट्री में काम करने के लिए झोंक दिया गया। इन बच्चों से 15 से 18 घंटे तक काम कराया जाता। यही नहीं खाना भी दिन भर में सिर्फ एक ही बार मिलता। अगर बीमार पड़ते या किसी चीज का विरोध करते तो डंडे से पीटा जाता। सोमवार को जब पूरा देश दिवाली की रोशनी में नहाया हुआ था, इन बच्चों ने भी अपनी जिंदगी का अंधकार खत्म करने का फैसला किया। ये बैंगल फैक्ट्री से भाग निकले। लेकिन भट्टा बस्ती की तंग गलियों में रास्ता भटक गए। बाद में इन्होंने कब्रिस्तान में रात काटी।
शमशाद मियां बहलाकर लायापुलिस के मुताबिक बच्चों से मिली जानकारी के मुताबिक शमशाद मियां नाम के एक शख्स के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और इसे हिरासत में ले लिया गया है। बच्चों के मुताबिक शमशाद ही वो शख्स है, जो उन्हें बहला-फुसलाकर यहां लाया था।
आखिर क्यों चूड़ियों के कारोबार में बच्चों को झोंका जा रहाजयपुर में बनने वाली चूड़ियों की फैक्टरियों में बच्चों से काम करवाने की समस्या दशकों से चली आ रही है। बाल श्रम कानून और प्रशासन की सख्त कार्रवाई के बावजूद यह खत्म नहीं हो रही है। पुलिस के मुताबिक इस काम के लिए बच्चों का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि उनके हाथ छोटे और नाजुक होते हैं। इसलिए कांच के साथ काम करने में नुकसान कम होता है। इसके अलावा वयस्क की तुलना में आधी मजदूरी में फैक्ट्री मालिक काम करवा लेते हैं।
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