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Maharashtra Meat Row: 'शरद पवार ने की थी 15 अगस्त को मांस बिक्री पर पाबंदी', बीजेपी का पलटवार

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मुंबई: स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मालेगांव, छत्रपति संभाजी नगर और कल्याण-डोंबिवली मनपा के मटन-चिकन की बिक्री पर रोक के आदेश से राज्य में हंगामा शुरू है। इस आदेश का जहां विपक्ष ने विरोध किया है, वहीं बीजेपी ने विपक्ष को घेरते हुए कहा कि 1988 में शरद पवार के मुख्यमंत्री रहते यह निर्णय लागू है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर मांसबंदी कोई हमारी सरकार का निर्णय नहीं है। लोग क्या खाते हैं, यह बात तय करने में सरकार की कोई रुचि नहीं है। हमारे सामने बहुत से प्रश्न है।



फडणवीस ने क्या कहा?


बुधवार को मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि हमारी सरकार का इस निर्णय से कोई लेना देना नहीं है। साल 1988 में तत्कालीन शरद पवार सरकार ने लागू किया था और हर साल ऐसा निर्णय लिया जाता है। यहां तक कि राज्य में जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तो उस समय के निर्णय की प्रति मुझे भेजी गई।



बूचड़खाने बंद करने की नीति का भी पवार कनेक्शन


इधर, बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा कि बूचड़खाने बंद करने की नीति पहली बार 1988 में शरद पवार के मुख्यमंत्री रहते लागू की गई थी। उन्होंने दावा किया कि महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के दौरान यही प्रथा बिना किसी विरोध के जारी रही, जिसमें जितेंद्र आव्हाड और आदित्य ठाकरे मंत्री थे। पवार चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। उपाध्ये ने कहा कि क्या वे उस समय ऐसा निर्णय लेने के लिए शरद पवार से जवाब मांगेंगे? क्या वे उनकी भी आलोचना करेंगे?



स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना गलत- अजित पवार

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने 15 अगस्त को मांस ब्रिकी बंद करने के आदेश पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा है कि इस तरह का प्रतिबंध लगाना गलत है। आमतौर पर इस तरह के प्रतिबंध पर आषाढ़ी एकादशी, महाशिवरात्रि, महावीर जयंती आदि जैसे मौकों पर धार्मिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए लगाए जाते हैं। महाराष्ट्र में लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन करते हैं।



मंगलवार को उपमुख्यमंत्री पवार ने पत्रकारों से बात करते हुए इस तरह का प्रतिबंध लगाना गलत है। बड़े शहरों में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं। अगर यह भावनात्मक मुद्दा है तो लोग इसे (प्रतिबंध को) एक दिन के लिए स्वीकार कर लेते हैं लेकिन अगर आप महाराष्ट्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ऐसे आदेश जारी करते हैं तो यह मुश्किल है।

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