अगली ख़बर
Newszop

khatu shyam Birthday: देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन खाटू श्याम का जन्मदिन, जानें खाटू श्याम की कहानी

Send Push
khatu shyam baba ki Story: हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी को अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार माह के योग निद्रा से जागते हैं और इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इसी पावन दिन को खाटू श्याम बाबा का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि खाटू श्याम जी का जन्म कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी एकादशी के दिन ही हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इसी दिन उनका पवित्र शीश राजस्थान के सीकर जिले के खाटू धाम में प्रतिष्ठित किया गया था। कहा जाता है कि देव उठनी एकादशी के दिन खाटू श्याम बाबा की पूजा करने से जीवन के संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

बाबा खाटू श्याम की कथा ?
खाटू श्याम बाबा की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक था। वे महाभारत के वीर घटोत्कच के पुत्र और भीम के पोते थे। बर्बरीक भगवान शिव के परम भक्त थे और उन्होंने तीन अमोघ बाणों का वरदान मिला था। इन बाणों के बल पर वे पूरी पृथ्वी को नष्ट करने की क्षमता रखते थे। जब महाभारत का युद्ध प्रारंभ हुआ, तब उन्होंने युद्ध में भाग लेने की इच्छा जताई।

बर्बरीक की प्रतिज्ञा थी कि वह हमेशा कमजोर पक्ष का साथ देंगे। भगवान श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण वेश में जाकर उनसे पूछा कि वे युद्ध में किसका पक्ष लेंगे। बर्बरीक ने उत्तर दिया कि जो पक्ष भी कमजोर होगा, मैं उसका साथ दूंगा। इस उत्तर से स्पष्ट था कि वे किसी एक पक्ष की जीत नहीं होने देंगे। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म की रक्षा के लिए उनसे उनका सिर मांग लिया। बर्बरीक ने बिना विलंब के अपना शीश भगवान को अर्पित कर दिया।

बार्बरीक के इस त्याग से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में उनकी पूजा श्याम नाम से होगी। जो भक्त सच्चे मन से उनका नाम लेगा, उसकी मनोकामना पूरी होगी। तभी से बार्बरीक को खाटू श्याम बाबा के नाम से जाना जाता है। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू धाम में खाटू श्याम बाबा का भव्य मंदिर है। देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन यहां विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें