नई दिल्ली: दो दिन पहले न केवल देश और दुनिया में हलचल मच गई, जब, ऑर्गनाइजर की एक ताजा रिपोर्ट में सनसनीखेज आरोप लगाया गया कि 31 अगस्त को बांग्लादेश के ढाका स्थित एक होटल के कमरे में अमेरिकी स्पेशल फोर्स के अधिकारी टेरेंस अर्वेल जैक्सन की रहस्यमयी मौत की घटना ने दक्षिण एशिया, खासकर भारत के आंतरिक क्षेत्र में अमेरिकी खुफिया कार्रवाइयों को लेकर संदेह को काफी बढ़ा दिया है। पूर्व रॉ एजेंट लकी बिष्ट ने नवभारत टाइम्स से एक्सक्लूसिव बातचीत में बड़ा खुलासा किया।
लकी बिष्ट ने लाश को लेकर उठाए सवाल
लकी बिष्ट ने बताया कि एक सवाल उनके मन में पूरी रात कौंध रहा था कि अगर ये सीआईए एजेंट था और किसी बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने वाला था तो फिर इसकी लाश तीन दिनों तक होटल में कैसे पड़ी रही। जबकि एजेंट से अगर कॉन्टैक्ट नहीं हो पाता तो उसकी अलर्ट टीम रिस्पॉन्ड करती है। यानी कि प्लान बी तैयार रहता है। उन्होंने खुलासा करते हुए बताया कि अमेरिका को दो घंट के भीतर पता चल गया था कि उनका एजेंट बांग्लादेश में मार दिया गया है।
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि सीआईए चीफ ने तुरंत ट्रंप से बात की होगी और बताया होगा कि उनका प्लान फ्लॉप हो गया और हमारा एजेंट मार दिया गया। ट्रंप ने भी रिस्पॉन्ड किया होगा मगर अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने फैसला किया कि इस मामले को यहीं का यहीं दफ्न कर दिया जाए। यानी कि अमेरिका की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाएगी. न ही लाश के पास कोई अमेरिकी जाएगा।
सीआईए को लग रहा था कि अगर कोई भी अमेरिकी लाश के पास गया तो तुरंत पूरी दुनिया को पता चल जाएगा कि अमेरिका का ही हाथ इस ऑपरेशन में था। इससे बचने के लिए उसने अपने एजेंट की मौत को छुपाए रखा. तीन दिन बाद तक जब रुम में कोई हलचल नहीं हुई, एक बार भी रुम ओपन नहीं हुआ और रुम से कुछ स्मैल आने लगी तब जाकर ये खुलासा हुआ अमेरिकी सैन्य अधिकारी और एजेंट की मौत हो गई।
लाश का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया
इसके बाद अमेरिकी एबेंसी एक्टिव हुई और लाश का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया और लाश को अमेरिकी दूतावास के कर्मचारिओं ने अपने कब्जे में ले लिया। इसीलिए अभी तक इसका खुलासा नहीं हो पाया कि अमेरिकी एजेंट की मौत कैसे हुई और किसने मारा। रिपोर्ट्स ये बता रही हैं कि इसमें रुस की सीक्रेट एजेंसी का हाथ है।
ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट में अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी की मौत को लेकर आशंका जताई गई है कि क्या अमेरिकी अधिकारी को भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के इरादे से ढाका में तैनात किया गया था। ऑर्गेनाइजर ने एक्सपर्ट्स के हवाले से अनुमान दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की योजना और कोशिश हो सकती है। जिसे भारत और रूस की खुफिया इकाइयों के संयुक्त अभियान ने नाकाम कर दिया। रिपोर्ट में कई सुराग और घटनाओं को जोड़कर अनुमान लगाया जा रहा है कि जैक्सन, भारत और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई गुप्त कार्रवाई या असाइनमेंट पर तैनात किया गया था, लेकिन उसका प्लान नाकाम हो गया। अमेरिकी अधिकारी टेरेंस अर्वेल जैक्सन 31 अगस्त को ढाका स्थित अपने होटल के कमरे में मृत पाए गए थे।
जिस दिन सीआईए एजेंट मारा गया उस दिन पीएम मोदी चीन में थे
ऑर्गेनाइजर ने दावा किया है कि सतही तौर पर रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्हें बांग्लादेश में तैनात किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका मकसद सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर बांग्लादेशी सेना को ट्रेनिंग देना हो सकता है। जिस दिन अमेरिकी अधिकारी टेरेंस अर्वेले मृत पाए गए, उस दिन प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के तियानजिन में थे। शिखर सम्मेलन के बाद, प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कार के अंदर काफी देर तक अकेले में बातचीत की थी। तियानजिन में मोदी-पुतिन की इस मुलाकात की खूब चर्चा हुई और इसे ग्लोबल कवरेज मिला।
लकी बिष्ट ने लाश को लेकर उठाए सवाल
लकी बिष्ट ने बताया कि एक सवाल उनके मन में पूरी रात कौंध रहा था कि अगर ये सीआईए एजेंट था और किसी बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने वाला था तो फिर इसकी लाश तीन दिनों तक होटल में कैसे पड़ी रही। जबकि एजेंट से अगर कॉन्टैक्ट नहीं हो पाता तो उसकी अलर्ट टीम रिस्पॉन्ड करती है। यानी कि प्लान बी तैयार रहता है। उन्होंने खुलासा करते हुए बताया कि अमेरिका को दो घंट के भीतर पता चल गया था कि उनका एजेंट बांग्लादेश में मार दिया गया है।
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि सीआईए चीफ ने तुरंत ट्रंप से बात की होगी और बताया होगा कि उनका प्लान फ्लॉप हो गया और हमारा एजेंट मार दिया गया। ट्रंप ने भी रिस्पॉन्ड किया होगा मगर अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने फैसला किया कि इस मामले को यहीं का यहीं दफ्न कर दिया जाए। यानी कि अमेरिका की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाएगी. न ही लाश के पास कोई अमेरिकी जाएगा।
सीआईए को लग रहा था कि अगर कोई भी अमेरिकी लाश के पास गया तो तुरंत पूरी दुनिया को पता चल जाएगा कि अमेरिका का ही हाथ इस ऑपरेशन में था। इससे बचने के लिए उसने अपने एजेंट की मौत को छुपाए रखा. तीन दिन बाद तक जब रुम में कोई हलचल नहीं हुई, एक बार भी रुम ओपन नहीं हुआ और रुम से कुछ स्मैल आने लगी तब जाकर ये खुलासा हुआ अमेरिकी सैन्य अधिकारी और एजेंट की मौत हो गई।
लाश का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया
इसके बाद अमेरिकी एबेंसी एक्टिव हुई और लाश का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया और लाश को अमेरिकी दूतावास के कर्मचारिओं ने अपने कब्जे में ले लिया। इसीलिए अभी तक इसका खुलासा नहीं हो पाया कि अमेरिकी एजेंट की मौत कैसे हुई और किसने मारा। रिपोर्ट्स ये बता रही हैं कि इसमें रुस की सीक्रेट एजेंसी का हाथ है।
ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट में अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी की मौत को लेकर आशंका जताई गई है कि क्या अमेरिकी अधिकारी को भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के इरादे से ढाका में तैनात किया गया था। ऑर्गेनाइजर ने एक्सपर्ट्स के हवाले से अनुमान दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की योजना और कोशिश हो सकती है। जिसे भारत और रूस की खुफिया इकाइयों के संयुक्त अभियान ने नाकाम कर दिया। रिपोर्ट में कई सुराग और घटनाओं को जोड़कर अनुमान लगाया जा रहा है कि जैक्सन, भारत और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई गुप्त कार्रवाई या असाइनमेंट पर तैनात किया गया था, लेकिन उसका प्लान नाकाम हो गया। अमेरिकी अधिकारी टेरेंस अर्वेल जैक्सन 31 अगस्त को ढाका स्थित अपने होटल के कमरे में मृत पाए गए थे।
जिस दिन सीआईए एजेंट मारा गया उस दिन पीएम मोदी चीन में थे
ऑर्गेनाइजर ने दावा किया है कि सतही तौर पर रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्हें बांग्लादेश में तैनात किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका मकसद सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर बांग्लादेशी सेना को ट्रेनिंग देना हो सकता है। जिस दिन अमेरिकी अधिकारी टेरेंस अर्वेले मृत पाए गए, उस दिन प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के तियानजिन में थे। शिखर सम्मेलन के बाद, प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कार के अंदर काफी देर तक अकेले में बातचीत की थी। तियानजिन में मोदी-पुतिन की इस मुलाकात की खूब चर्चा हुई और इसे ग्लोबल कवरेज मिला।
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