हैदराबाद: लिकर उद्योग (Liquor Industry) इस समय अजीब पसोपेस में है। एक तरफ क्रिसमस और न्यू ईयर का फेस्टिवल सीजन आ रहा है। उस वक्त शराब की मांग बढ़ जाती है। लेकिन दूसरी तरफ इंडस्ट्री उस समय सप्लाई थामने की बात कर रहे हैं। जी हां, यह हालत तेलंगाना में आने वाली है। राज्य सरकार पर शराब उद्योग के करीब 3,000 करोड़ रुपये का बकाया है। वे सरकार से बकाये का भुगतान करने को कह रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं रहा है। इसलिए शराब उद्योग ने चेतावनी दी है कि यदि 10 नवंबर तक भुगतान नहीं किया गया तो त्योहारी सीजन के दौरान आपूर्ति में गंभीर कमी आ सकती है। मतलब क्रिसमस और न्यू ईयर की पार्टी बिगड़ सकती है।
किसने दी है चेतावनीतेलंगाना सरकार को Brewers Association of India (BAI), International Spirits and Wines Association of India (ISWAI) और Confederation of Indian Alcoholic Beverage Companies (CIABC) ने चेतावनी दी है। इन्होंने राज्य सरकार से शराब आपूर्तिकर्ताओं के लंबित भुगतानों को तुरंत जारी करने का आग्रह किया है। इनका कहना है कि पेमेंट नहीं मिलने से शराब बनाने वाली कंपनियां क्रिसमस और नए साल के दौरान बढ़ी डिमांड को पूरा करने में असमर्थ होंगी। उस समय शराब की डिमांड बढ़ जाती है, सामान्य मासिक औसत से 1.75 गुना अधिक। यह स्थिति विशेष रूप से तब गंभीर होगी जब अगले महीने नई शराब की दुकानें खुलने वाली हैं।
सरकार के पास पैसे की क्या कमी?उद्योग संघों का कहना है कि सरकार ने बीते अक्टूबर में ही शराब के नए खुदरा लाइसेंस जारी किए हैं। इस मद में सरकार को आवेदन शुल्क से ही 3,000 करोड़ रुपये मिले हैं। लिकर इंडस्ट्री का कहना है कि इस राशि का उपयोग लंबित बिलों के निपटान के लिए किया जाए। संघों ने कहा "पर्याप्त शुल्क एकत्र करने और अक्टूबर में रिकॉर्ड बिक्री दर्ज करने के बावजूद, पिछले चार महीनों के औसत की तुलना में आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान लगभग 50% कम हो गया है।"
कितना है बकायाउद्योग के अनुमानों के अनुसार, राज्य पर जुलाई के लिए 697 करोड़ रुपये, अगस्त के लिए 614 करोड़ रुपये, सितंबर के लिए 1,010 करोड़ रुपये और अक्टूबर के लिए 484 करोड़ रुपये का बकाया है। यह कुल मिलाकर 2,805 करोड़ रुपये का बकाया बनता है।
खजाने में इंडस्ट्री का बड़ा योगदानउद्योग निकायों ने इस बात पर जोर दिया कि अल्कोवेब सेक्टर से तेलंगाना के खजाने में हर साल 38,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान आता है। यह क्षेत्र रोजगार, खुदरा और आतिथ्य पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए सरकार इस इंडस्ट्री को नुकसान से बचाए। उन्होंने चेतावनी दी कि निरंतर निष्क्रियता आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकती है और त्योहारी अवधि के दौरान खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान पहुंचा सकती है।
किसने दी है चेतावनीतेलंगाना सरकार को Brewers Association of India (BAI), International Spirits and Wines Association of India (ISWAI) और Confederation of Indian Alcoholic Beverage Companies (CIABC) ने चेतावनी दी है। इन्होंने राज्य सरकार से शराब आपूर्तिकर्ताओं के लंबित भुगतानों को तुरंत जारी करने का आग्रह किया है। इनका कहना है कि पेमेंट नहीं मिलने से शराब बनाने वाली कंपनियां क्रिसमस और नए साल के दौरान बढ़ी डिमांड को पूरा करने में असमर्थ होंगी। उस समय शराब की डिमांड बढ़ जाती है, सामान्य मासिक औसत से 1.75 गुना अधिक। यह स्थिति विशेष रूप से तब गंभीर होगी जब अगले महीने नई शराब की दुकानें खुलने वाली हैं।
सरकार के पास पैसे की क्या कमी?उद्योग संघों का कहना है कि सरकार ने बीते अक्टूबर में ही शराब के नए खुदरा लाइसेंस जारी किए हैं। इस मद में सरकार को आवेदन शुल्क से ही 3,000 करोड़ रुपये मिले हैं। लिकर इंडस्ट्री का कहना है कि इस राशि का उपयोग लंबित बिलों के निपटान के लिए किया जाए। संघों ने कहा "पर्याप्त शुल्क एकत्र करने और अक्टूबर में रिकॉर्ड बिक्री दर्ज करने के बावजूद, पिछले चार महीनों के औसत की तुलना में आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान लगभग 50% कम हो गया है।"
कितना है बकायाउद्योग के अनुमानों के अनुसार, राज्य पर जुलाई के लिए 697 करोड़ रुपये, अगस्त के लिए 614 करोड़ रुपये, सितंबर के लिए 1,010 करोड़ रुपये और अक्टूबर के लिए 484 करोड़ रुपये का बकाया है। यह कुल मिलाकर 2,805 करोड़ रुपये का बकाया बनता है।
खजाने में इंडस्ट्री का बड़ा योगदानउद्योग निकायों ने इस बात पर जोर दिया कि अल्कोवेब सेक्टर से तेलंगाना के खजाने में हर साल 38,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान आता है। यह क्षेत्र रोजगार, खुदरा और आतिथ्य पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए सरकार इस इंडस्ट्री को नुकसान से बचाए। उन्होंने चेतावनी दी कि निरंतर निष्क्रियता आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकती है और त्योहारी अवधि के दौरान खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान पहुंचा सकती है।
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