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Mumbai Hostage: यामी गौतम की फिल्म का असली सीन! एक शख्स ने 17 बच्चों को बंधक बनाया और... पवई में चौंकाने वाली घटना का फिल्मी कनेक्शन

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मुंबई: सपनों का शहर माना जाने वाला मुंबई गुरुवार को 17 बच्चों के अपहरण से दहल उठा। मुंबई के पवई के पॉश इलाके में बेहद नाटकीय घटनाक्रम हुआ। पवई इलाके के एक आरए स्टूडियो में एक वेब सीरीज के लिए ऑडिशन आयोजित किया गया था। ऑडिशन पिछले छह दिनों से चल रहा था। आज सातवां दिन था। राज्य भर के अलग-अलग जगहों से 17 बच्चे आए थे। इन सभी बच्चों को ऑडिशन के लिए बुलाने वाले रोहित आर्य ने सभी बच्चों को बंधक बना लिया। हालांकि रोहित आर्य पुलिस के साथ एनकाउंटर में मारा गया। लेकिन क्या आप जानते हैं? इस घटना को एक फिल्म में भी दिखाया गया है।

पवई की घटना का फिल्मी कनेक्शन?

यह घटना 30 अक्टूबर की दोपहर पवई में हुई थी। रोहित आर्य नाम के एक व्यक्ति ने आरए स्टूडियो में 17 बच्चों को बंधक बना लिया था। उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर बातचीत करने की इच्छा जताई थी। यह घटना यामी गौतम की फिल्म 'ए थर्सडे' से मिलती-जुलती है। इस फिल्म में यामी गौतम एक प्लेस्कूल टीचर हैं। लेकिन वह अचानक 16 बच्चों को बंधक बना लेती हैं क्योंकि वह प्रधानमंत्री से बात करना चाहती हैं। इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक व्यक्ति अन्याय सहने के बाद सालों तक कष्ट सहता है। इस फिल्म में यामी ने नैना का किरदार निभाया है।

सरकार से परेशान था रोहित आर्य

रोहित आर्या ने यह भी कहा कि वह सरकार के प्रशासन से परेशान हैं। वह पुणे के रहने वाले हैं और मुंबई के पवई इलाके में एक्टिंग क्लासेस और ऑडिशन में काम करते थे। सोशल मीडिया पर उन्हें फिल्म निर्माता और मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर जाना जाता है। उनका 'अप्सरा' नाम से एक यूट्यूब चैनल है। वह पिछले कुछ दिनों से मानसिक तनाव में थे और उनका आरोप था कि सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है। रोहित आर्य कुछ दिन पहले भूख हड़ताल पर थे। उन्होंने शिक्षा विभाग के लिए एक प्रोजेक्ट बनाया था और उसके लिए लोन लिया था। स्वच्छता निगरानी अभियान नामक इस पहल को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर पैसा खर्च किया था और सरकार ने उन्हें भुगतान नहीं किया, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

अनशन के बाद भी नहीं मिले थे पैसे

इस प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के दौरान वित्तीय मतभेद बढ़ गए। रोहित आर्य ने बताया था कि सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए लगभग 2 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। हालांकि बाद में शिक्षा विभाग ने केवल 5 प्रतिशत परामर्श शुल्क देने का फैसला किया और उन्हें इस बदलाव की पूर्व सूचना नहीं दी गई। इसलिए अन्याय का आरोप लगाते हुए रोहित आर्य ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। उन्होंने 23 जुलाई 2024 से 3 अगस्त 2024 और 8 अगस्त 2024 से 4 सितंबर 2024 तक दो चरणों में अनशन किया। उस समय शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के आश्वासन पर रोहित ने अनशन स्थगित कर दिया था। हालांकि, दीपक ने अपना वादा नहीं निभाया। इसलिए, रोहित ने 4 अक्टूबर से फिर से अनशन किया।


सरकार ने डाला था दबाव

इस बीच, 2 अक्टूबर 2024 को मंत्री दीपक केसरकर ने उनके नाम 7 लाख रुपये और 8.26 लाख रुपये के दो चेक जारी करके दो बिलों का भुगतान किया था। उन्होंने कहा था कि बाकी राशि 4 अक्टूबर तक चुका दी जाएगी। हालांकि, जब यह आश्वासन पूरा नहीं हुआ, तो रोहित ने फिर से आंदोलन का रास्ता अपनाया। 8 अक्टूबर को, जब वह मंत्री के घर के बाहर अनशन कर रहे थे, मालाबार हिल पुलिस उन्हें थाने ले गई। पुलिस उनके साथ शालीनता से पेश आई और शाम को उन्हें रिहा कर दिया गया। उसके बाद मंत्री, प्रमुख सचिव और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में एक बैठक हुई। इस बैठक में रोहित पर पीएलसी स्वच्छता मॉनिटर 2024-25 की रिपोर्ट पेश करने का दबाव डाला गया। हालांकि, यह परियोजना निजी थी, रोहित ने इसका विरोध किया।

बंधक का नाटक पड़ गया भारी

रोहित आर्य ने आरोप लगाया कि परियोजना का प्रस्ताव उनकी सहमति के बिना बदल दिया गया और उन्हें बोलने का मौका भी नहीं दिया गया। रोहित ने आरोप लगाया कि मंत्री दीपक केसरकर ने कहा था कि तुम्हें कुछ नहीं पता, अपना वकील लेकर आओ। इस पूरे घटनाक्रम के बाद रोहित ने कहा कि जब तक उनकी पांच मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक भूख हड़ताल जारी रहेगी। आगे इस पूरे मामले से तंग आकर रोहित आर्य ने फिल्मी अंदाज़ में पवई में बंधक का नाटक किया। जिसमें पुलिस मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई।

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