पटना: कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ साये की तरह चिपका रहने वाला इंसान। कभी मुख्यमंत्री जिसके कंधे पर मुस्कुरा कर हाथ रखते हों। कभी मुख्यमंत्री जिसके गले लिपट जाते हों। कभी मुख्यमंत्री उसके बगल में बैठक, उससे मशविरा करते हों। उस नेता को अचानक महज अपनी एक तस्वीर के लिए माला में मुंडी घुसाने के लिए संघर्ष करना पड़े, तो इसे आप क्या कहेंगे? स्वाभाविक है, इसे आप राजनीति की रपटीली राहों पर दौड़ने वाले सियासी घोड़े का समय पूरा हो जाना कहेंगे। आप ये भी कह सकते हैं कि क्या से क्या हो गया, देखते- देखते। हम बात कर रहे हैं, बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी की। वही अशोक चौधरी, जिनके बिना एक पल भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोई तस्वीर हाल के दिनों में नहीं दिखी। वहीं अशोक चौधरी, जो पार्टी की बैठक में ललन सिंह तक को ललकार बैठे।
संघर्ष करते मंत्री
उपरोक्त तस्वीर को आप ध्यान से देख सकते हैं। इसमें चार तस्वीरें हैं। पहली तस्वीर है, मुख्यमंत्री भाव विहल और विभोर होकर मंत्री अशोक चौधरी के गले से लिपटे हुए हैं। उसके बाद वाली तस्वीर में जेडीयू पार्टी ऑफिस के एक मिलन समारोह में अशोक चौधरी भारी गेंदे के फूल का माला उठाए हुए हैं। उसके नीचे वाली तस्वीर में माला के अंदर अपना सिर घुसाने के लिए संघर्ष करते हुए दिख रहे हैं। चेहरे पर जबरदस्ती थोपी गई मुस्कुराहट है। लेकिन मुस्कान की असफल कोशिश उनके अंदर चल रहे सियासी दर्श को छिपा नहीं पाती है। खैर, एक चौथी तस्वीर भी है, जिसमें ललन सिंह आगे- आगे चल रहे हैं। उनके बगल में एक उनका समर्थक चल रहा है। अशोक चौधरी पीछे हैं। लेकिन ललन सिंह के बराबर में चलने के लिए उस समर्थक को हाथ से इशारा कर उन्हें हटाना पड़ रहा है।
तस्वीरों के आईने में राजनीति
इन चारों तस्वीरों के आईने में आप राजनीति के रंजो- गम वाले पार्ट को देख सकते हैं। एक वो दौर था, जब अशोक चौधरी ने जेडीयू की भरी मीटिंग में कह डाला कि उन्हें रोकने की किसी में ताकत नहीं है। मामला उनके बरबीघा जाने और अपनी विशेष बैठकी को अंजाम देने का था। उस वक्त उन्होंने ललन सिंह को ही जवाब दे दिया था। मीडिया में खबर सुर्खियों में आई। साथ ही ये भी खबर आई कि नीतीश सरकार के सेकंड मैन मंत्री अशोक चौधरी ही हैं। अशोक चौधरी के बिना किसी सार्वजनिक कार्यक्रम के शुरुआत होने की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। बड़े- बड़े नेता उनके इंतजार में बैठे रहते थे। अब वही अशोक चौधरी हैं, जिन्हें पार्टी के कार्यक्रम में एक अदद तस्वीर उनकी भी आ जाए, उसके लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
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जेडीयू नेता का बयान
सूत्रों के मुताबिक अब अशोक चौधरी के विभाग की जांच भी शुरू हो गई है। उनकी ओर से अप्रूव किए गए योजनाओं को खंगाला जा रहा है। बकायदा अखबार में खबर छप चुकी है। जेडीयू के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनको जवाब तो देना होगा। नीतीश कुमार उन्हें छोड़ने वाले नहीं हैं। अखबार में उनके विभाग की जांच की खबर का छपना महज एक संयोग नहीं है। नेता ने कहा कि इस बात से आप समझ जाइए कि नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी टाइप के लोगों का कैसे होमियोपैथिक इलाज करते हैं। प्रशांत किशोर ने जब आरोप लगाया, तो जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार चिल्ला- चिल्ला कर उन्हें सफाई पेश करने की बात कह रहे थे। अशोक चौधरी को ये बात हल्की लग रही थी। अब उन्हें समझ में आ गया है, राजनीति की काल कोठरी में बेदाग निकले शख्स ही नीतीश कुमार को पसंद आते हैं।
संघर्ष करते मंत्री
उपरोक्त तस्वीर को आप ध्यान से देख सकते हैं। इसमें चार तस्वीरें हैं। पहली तस्वीर है, मुख्यमंत्री भाव विहल और विभोर होकर मंत्री अशोक चौधरी के गले से लिपटे हुए हैं। उसके बाद वाली तस्वीर में जेडीयू पार्टी ऑफिस के एक मिलन समारोह में अशोक चौधरी भारी गेंदे के फूल का माला उठाए हुए हैं। उसके नीचे वाली तस्वीर में माला के अंदर अपना सिर घुसाने के लिए संघर्ष करते हुए दिख रहे हैं। चेहरे पर जबरदस्ती थोपी गई मुस्कुराहट है। लेकिन मुस्कान की असफल कोशिश उनके अंदर चल रहे सियासी दर्श को छिपा नहीं पाती है। खैर, एक चौथी तस्वीर भी है, जिसमें ललन सिंह आगे- आगे चल रहे हैं। उनके बगल में एक उनका समर्थक चल रहा है। अशोक चौधरी पीछे हैं। लेकिन ललन सिंह के बराबर में चलने के लिए उस समर्थक को हाथ से इशारा कर उन्हें हटाना पड़ रहा है।
तस्वीरों के आईने में राजनीति
इन चारों तस्वीरों के आईने में आप राजनीति के रंजो- गम वाले पार्ट को देख सकते हैं। एक वो दौर था, जब अशोक चौधरी ने जेडीयू की भरी मीटिंग में कह डाला कि उन्हें रोकने की किसी में ताकत नहीं है। मामला उनके बरबीघा जाने और अपनी विशेष बैठकी को अंजाम देने का था। उस वक्त उन्होंने ललन सिंह को ही जवाब दे दिया था। मीडिया में खबर सुर्खियों में आई। साथ ही ये भी खबर आई कि नीतीश सरकार के सेकंड मैन मंत्री अशोक चौधरी ही हैं। अशोक चौधरी के बिना किसी सार्वजनिक कार्यक्रम के शुरुआत होने की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। बड़े- बड़े नेता उनके इंतजार में बैठे रहते थे। अब वही अशोक चौधरी हैं, जिन्हें पार्टी के कार्यक्रम में एक अदद तस्वीर उनकी भी आ जाए, उसके लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
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जेडीयू नेता का बयान
सूत्रों के मुताबिक अब अशोक चौधरी के विभाग की जांच भी शुरू हो गई है। उनकी ओर से अप्रूव किए गए योजनाओं को खंगाला जा रहा है। बकायदा अखबार में खबर छप चुकी है। जेडीयू के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनको जवाब तो देना होगा। नीतीश कुमार उन्हें छोड़ने वाले नहीं हैं। अखबार में उनके विभाग की जांच की खबर का छपना महज एक संयोग नहीं है। नेता ने कहा कि इस बात से आप समझ जाइए कि नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी टाइप के लोगों का कैसे होमियोपैथिक इलाज करते हैं। प्रशांत किशोर ने जब आरोप लगाया, तो जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार चिल्ला- चिल्ला कर उन्हें सफाई पेश करने की बात कह रहे थे। अशोक चौधरी को ये बात हल्की लग रही थी। अब उन्हें समझ में आ गया है, राजनीति की काल कोठरी में बेदाग निकले शख्स ही नीतीश कुमार को पसंद आते हैं।
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