नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव में कई उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए हैं। चुनाव आयोग की जांच में इनके दस्तावेज में कई बड़ी गलतियां पाई गईं। बिहार में मोहनिया विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन की उम्मीदवार श्वेता सुमन, सुगौली विधानसभा सीट से राजद विधायक शशि भूषण सिंह, लोजपा आर की छपरा मढौरा सीट से प्रत्याशी सीमा सिंह समेत अन्य उम्मीदवारों का नामांकन रद्द हो चुका है। तो चलिए जानते हैं आखिर किन वजहों से उम्मीदवारों का नामांकन रद्द हो जाता है...
पढ़िए 10 बड़े कारण, जिनकी वजह से नामांकन रद्द होता है
क्या नामांकन रद्द होने के बाद उम्मीदवारी बहाल की जा सकती है?
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, एक बार नामांकन रद्द हो जाने पर, उम्मीदवार की उम्मीदवारी को तुरंत बहाल नहीं किया जा सकता है। लेकिन, ऐसे में उम्मीदवार के पास दो कानूनी विकल्प मौजूद होते हैं। पहला विकल्प है पुनर्विचार याचिका दायर करना। इस याचिका के माध्यम से उम्मीदवार चुनाव आयोग के सामने यह साबित करने की कोशिश कर सकता है कि उसका नामांकन रद्द करने की प्रक्रिया में कोई गलती हुई थी या यह अनुचित था। यदि चुनाव आयोग को लगता है कि यह गलती मामूली थी, तो वह अपने फैसले की समीक्षा कर सकता है।
दूसरा विकल्प है न्यायिक अपील। इसके तहत, उम्मीदवार हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर सकता है। यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी हो सकती है और चुनाव की समय-सारणी को प्रभावित नहीं करती है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नामांकन रद्द होने का कारण एक 'तकनीकी' गलती थी और उम्मीदवार को उसे सुधारने का मौका दिया गया था, तो चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवारी को दोबारा बहाल करने की संभावना बहुत ही कम होती है।
सीमा सिंह को मिला था त्रुटि सुधारने का मौका
निर्वाचन पदाधिकारी के मुताबिक चिराग पासवान की पार्टी की उम्मीदवार सीमा सिंह को त्रुटि सुधारने का मौका दिया गया था, लेकिन वह समय पर संशोधित फॉर्म जमा नहीं कर सकीं। इस कारण रिटर्निंग ऑफिसर ने नियमानुसार उनका नामांकन खारिज कर दिया। अगर नाम या पते में मामूली वर्तनी की गलती है तो इसे सुधारने का मौका दिया जा सकता है।
पढ़िए 10 बड़े कारण, जिनकी वजह से नामांकन रद्द होता है
- उम्मीदवार किसी कारण से अयोग्य घोषित किया गया है।
- नामांकन पत्र या जरूरी दस्तावेज समय पर जमा नहीं किए गए।
- नामांकन पत्र उम्मीदवार या प्रस्तावक की जगह किसी और ने जमा किया।
- नामांकन पत्र पर उम्मीदवार या प्रस्तावक के हस्ताक्षर का मिलान नहीं हो पाना।
- नामांकन के लिए प्रस्तावकों की संख्या पूरी नहीं है।
- उम्मीदवार उस वर्ग से नहीं है जिसके लिए सीट आरक्षित है।
- प्रस्तावक उस विधानसभा क्षेत्र का मतदाता नहीं है।
- उम्मीदवार ने नामांकन के साथ निर्धारित प्रारूप में हलफनामा नहीं दिया।
- हलफनामे में कॉलम खाली छोड़े गए और नोटिस के बाद भी नया हलफनामा नहीं दिया।
- उम्मीदवार उस क्षेत्र का मतदाता नहीं है।
- उम्मीदवार ने अपने नाम वाली मतदाता सूची की प्रमाणित प्रति या अंश नहीं लगाया
क्या नामांकन रद्द होने के बाद उम्मीदवारी बहाल की जा सकती है?
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, एक बार नामांकन रद्द हो जाने पर, उम्मीदवार की उम्मीदवारी को तुरंत बहाल नहीं किया जा सकता है। लेकिन, ऐसे में उम्मीदवार के पास दो कानूनी विकल्प मौजूद होते हैं। पहला विकल्प है पुनर्विचार याचिका दायर करना। इस याचिका के माध्यम से उम्मीदवार चुनाव आयोग के सामने यह साबित करने की कोशिश कर सकता है कि उसका नामांकन रद्द करने की प्रक्रिया में कोई गलती हुई थी या यह अनुचित था। यदि चुनाव आयोग को लगता है कि यह गलती मामूली थी, तो वह अपने फैसले की समीक्षा कर सकता है।
दूसरा विकल्प है न्यायिक अपील। इसके तहत, उम्मीदवार हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर सकता है। यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी हो सकती है और चुनाव की समय-सारणी को प्रभावित नहीं करती है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नामांकन रद्द होने का कारण एक 'तकनीकी' गलती थी और उम्मीदवार को उसे सुधारने का मौका दिया गया था, तो चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवारी को दोबारा बहाल करने की संभावना बहुत ही कम होती है।
सीमा सिंह को मिला था त्रुटि सुधारने का मौका
निर्वाचन पदाधिकारी के मुताबिक चिराग पासवान की पार्टी की उम्मीदवार सीमा सिंह को त्रुटि सुधारने का मौका दिया गया था, लेकिन वह समय पर संशोधित फॉर्म जमा नहीं कर सकीं। इस कारण रिटर्निंग ऑफिसर ने नियमानुसार उनका नामांकन खारिज कर दिया। अगर नाम या पते में मामूली वर्तनी की गलती है तो इसे सुधारने का मौका दिया जा सकता है।
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