इस्लामाबाद/इंस्ताबुल: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि इंस्ताबुल में तालिबान के साथ युद्धविराम को लेकर चल रही बातचीत नाकाम हो गई है। उन्होंने शुक्रवार को जियो न्यूज से बात करते हुए कहा कि युद्धविराम तभी तक लागू रहेगा, जब तक अफगानिस्तान की जमीन से कोई हमला नहीं होता। इससे पहले ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वार्ता नाकाम रहती है तो पाकिस्तान को तालिबान के साथ युद्ध में उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि यदि अफगान तालिबान ने टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए, तो इस्लामाबाद अपने "सभी विकल्पों" का इस्तेमाल करेगा।
आपको बता दें कि तुर्की के इंस्ताबुल में तालिबान और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम पर बैठक का आयोजन किया गया था। जिसमें कतर और तुर्की मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे। इनसाइड रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने तुर्की के रवैये को लेकर तो पाकिस्तान ने कतर की भूमिका पर नाराजगी जताई है। पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि कतर, तालिबान का पक्ष ले रहा था।
क्या अफगानिस्तान पर हमला करेगा पाकिस्तान?
ख्वाजा आसिफ ने जियो न्यूज से कहा कि "अगर बातचीत विफल होती है, तो स्थिति और बिगड़ेगी। हमारे पास विकल्प मौजूद हैं। जिस तरह से हमें निशाना बनाया जा रहा है, उसे देखते हुए हम भी उसी तरह जवाब दे सकते हैं।" वहीं, समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक से कुछ घंटे पहले गुरुवार को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पार से हुई गोलीबारी में कम से कम पांच लोग मारे गए और छह अन्य घायल हो गए। तालिबान और पाकिस्तान के बीच इससे पहले दो दौर की बैठकें हो चुकी हैं। पहली बातचीत 18-19 अक्टूबर को कतर की राजधानी दोहा में और दूसरे दौर की बैठक 25 अक्टूबर को इंस्ताबुल में हुआ था। अफगान मीडिया का कहना है कि तीसरे राउंड की बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच गहरी अविश्वसनीयता देखी गई है।
तुर्की और कतर के मध्यस्थ प्रयासों के बावजूद, इस्लामाबाद ने शिकायत की है कि काबुल ने अब तक "लिखित गारंटी" नहीं दी कि अफगान सरजमीं से पाकिस्तान पर टीटीपी के हमले नहीं होंगे। आसिफ ने कहा कि तालिबान सरकार "सिर्फ मौखिक आश्वासन दे रही है" और यह गंभीरता की कमी को दर्शाता है। उनके अनुसार, अफगान नेतृत्व के भीतर "कई लोग ऐसे हैं जो चरमपंथी समूहों को संरक्षण दे रहे हैं" इसलिए द्विपक्षीय संबंध "सामान्य नहीं हो सकते।"
पाकिस्तान और तालिबान के बीच तनाव बढ़ा
तालिबान ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी पक्ष तहरीक-ए-तालिबान के हमलों को रोकने को लेकर तो अड़ा हुआ था, लेकिन वो इस्लामिक स्टेर खुरासान (ISKP) के हमलों को लेकर बात करने के लिए तैयार नहीं था। तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान, ISKP के आतंकियों को अफगान शरणार्थियों के साथ भेज रहा है, जिसका मकसद अफगानिस्तान में आतंकी हमले करने हैं। तालिबान ने अफगानिस्तान में होने वाले आतंकी हमलों के लिए पाकिस्तान पर आरोप मढ़े हैं। वहीं, पाकिस्तान ने वार्ता शुरू होने से पहले अफगानिस्तान में हमले किए थे।
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, अफगान सैन्य सूत्रों ने दावा किया है कि पाकिस्तान ने हल्के और भारी हथियारों का इस्तेमाल किया और नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया है। अफगान बलों ने कथित तौर पर "चल रही बातचीत को सम्मान देने के लिए" गोलीबारी नहीं करने की बात कही है। हालांकि, इस्लामाबाद ने आरोपों का खंडन करते हुए जोर देकर कहा कि "गोलीबारी अफगान पक्ष की ओर से शुरू की गई थी" और पाकिस्तानी बलों ने "संयम और जिम्मेदाराना तरीके से" जवाब दिया। पाकिस्तान के सूचना मंत्रालय ने एक्स पर एक बयान में कहा, "हम चमन में पाक-अफगान सीमा पर आज की घटना के संबंध में अफगान पक्ष द्वारा प्रसारित दावों को दृढ़ता से खारिज करते हैं।"
आपको बता दें कि तुर्की के इंस्ताबुल में तालिबान और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम पर बैठक का आयोजन किया गया था। जिसमें कतर और तुर्की मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे। इनसाइड रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने तुर्की के रवैये को लेकर तो पाकिस्तान ने कतर की भूमिका पर नाराजगी जताई है। पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि कतर, तालिबान का पक्ष ले रहा था।
क्या अफगानिस्तान पर हमला करेगा पाकिस्तान?
ख्वाजा आसिफ ने जियो न्यूज से कहा कि "अगर बातचीत विफल होती है, तो स्थिति और बिगड़ेगी। हमारे पास विकल्प मौजूद हैं। जिस तरह से हमें निशाना बनाया जा रहा है, उसे देखते हुए हम भी उसी तरह जवाब दे सकते हैं।" वहीं, समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक से कुछ घंटे पहले गुरुवार को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पार से हुई गोलीबारी में कम से कम पांच लोग मारे गए और छह अन्य घायल हो गए। तालिबान और पाकिस्तान के बीच इससे पहले दो दौर की बैठकें हो चुकी हैं। पहली बातचीत 18-19 अक्टूबर को कतर की राजधानी दोहा में और दूसरे दौर की बैठक 25 अक्टूबर को इंस्ताबुल में हुआ था। अफगान मीडिया का कहना है कि तीसरे राउंड की बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच गहरी अविश्वसनीयता देखी गई है।
तुर्की और कतर के मध्यस्थ प्रयासों के बावजूद, इस्लामाबाद ने शिकायत की है कि काबुल ने अब तक "लिखित गारंटी" नहीं दी कि अफगान सरजमीं से पाकिस्तान पर टीटीपी के हमले नहीं होंगे। आसिफ ने कहा कि तालिबान सरकार "सिर्फ मौखिक आश्वासन दे रही है" और यह गंभीरता की कमी को दर्शाता है। उनके अनुसार, अफगान नेतृत्व के भीतर "कई लोग ऐसे हैं जो चरमपंथी समूहों को संरक्षण दे रहे हैं" इसलिए द्विपक्षीय संबंध "सामान्य नहीं हो सकते।"
पाकिस्तान और तालिबान के बीच तनाव बढ़ा
तालिबान ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी पक्ष तहरीक-ए-तालिबान के हमलों को रोकने को लेकर तो अड़ा हुआ था, लेकिन वो इस्लामिक स्टेर खुरासान (ISKP) के हमलों को लेकर बात करने के लिए तैयार नहीं था। तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान, ISKP के आतंकियों को अफगान शरणार्थियों के साथ भेज रहा है, जिसका मकसद अफगानिस्तान में आतंकी हमले करने हैं। तालिबान ने अफगानिस्तान में होने वाले आतंकी हमलों के लिए पाकिस्तान पर आरोप मढ़े हैं। वहीं, पाकिस्तान ने वार्ता शुरू होने से पहले अफगानिस्तान में हमले किए थे।
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, अफगान सैन्य सूत्रों ने दावा किया है कि पाकिस्तान ने हल्के और भारी हथियारों का इस्तेमाल किया और नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया है। अफगान बलों ने कथित तौर पर "चल रही बातचीत को सम्मान देने के लिए" गोलीबारी नहीं करने की बात कही है। हालांकि, इस्लामाबाद ने आरोपों का खंडन करते हुए जोर देकर कहा कि "गोलीबारी अफगान पक्ष की ओर से शुरू की गई थी" और पाकिस्तानी बलों ने "संयम और जिम्मेदाराना तरीके से" जवाब दिया। पाकिस्तान के सूचना मंत्रालय ने एक्स पर एक बयान में कहा, "हम चमन में पाक-अफगान सीमा पर आज की घटना के संबंध में अफगान पक्ष द्वारा प्रसारित दावों को दृढ़ता से खारिज करते हैं।"
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