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CDS General Anil Chauhan On 1962 War : 1962 के युद्ध में अगर भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल किया होता तो…सीडीएस जनरल अनिल चौहान का बड़ा दावा

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नई दिल्ली। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने 1962 में हुए भारत और चीन युद्ध को लेकर एक बड़ी बात कही है। सीडीएस का कहना है कि अगर उस युद्ध में भारत ने वायुसेना का इस्तेमाल किया होता तो चीन के हमलों को काफी हद तक रोका जा सकता था। उन्होंने यह भी कहा कि 1962 में अपनाई गई फॉरवर्ड पॉलिसी को लद्दाख और नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (एनईएफए, वर्तमान अरुणाचल प्रदेश) में एक समान लागू नहीं करना चाहिए था क्यों कि इन दोनों क्षेत्रों में विवाद का इतिहास और वहां की भौगोलिक स्थितियां बिल्कुल अलग थी।

सीडीएस चौहान ने यह बातें दिवंगत लेफ्टिनेंट जनरल एस. पी. पी. थोराट की संशोधित आत्मकथा-‘रेवेली टू रिट्रीट’ के विमोचन के दौरान एक रिकॉर्डेड वीडियो संदेश में कही हैं। भारत-चीन युद्ध से पहले जनरल थोराट पूर्वी कमान के ‘जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ’ पद पर तैनात थे। सीडीएस चौहान ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल थोराट चीन से युद्ध के दौरान भारतीय एयरफोर्स का इस्तेमाल करना चाहते थे हालांकि, तत्कालीन सरकार की ओर से इस बात के लिए मंजूरी नहीं मिली थी। सीडीएस बोले, अगर वायुसेना की सहायता ली जाती तो इससे थल सेना को तैयारी के लिए समय मिल जाता।

उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है, चीन के साथ युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के इस्तेमाल को उस समय तनाव बढ़ाने वाला कहा जा सकता था लेकिन आज के मौजूदा हालात उससे अलग है। बीते कुछ समय से सुरक्षा स्थिति और युद्ध का स्वरूप दोनों में काफी बदलाव आया है। भारतीय सेना के द्वारा हाल ही में किया गया ऑपरेशन सिंदूर इस का बात एक सटीक उदाहरण है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 24 सितंबर 2025 आदेश जारी करते हुए सीडीएस जनरल अनिल चौहान का कार्यकाल अगले 8 महीने के लिए बढ़ा दिया है। वह 30 मई 2026 तक या फिर अगला आदेश आने तक सीडीएस के पद पर बने रहेंगे।

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