Next Story
Newszop

अपरा एकादशी: व्रत कथा और पारण विधि की जानकारी

Send Push
अपरा एकादशी का महत्व

अपरा एकादशी की कथा: अपरा एकादशी का अर्थ है वह एकादशी जो अपार फल देती है, जिससे व्यक्ति को अपार पुण्य और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए किया जाता है, जिसे अचला एकादशी और भद्रकाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत के माध्यम से जीवन के सभी दुख और पापों से मुक्ति मिलती है।


अपरा एकादशी 2025 का पारण समय

इस वर्ष अपरा एकादशी का पर्व शुक्रवार, 23 मई, 2025 को मनाया जाएगा, जबकि इसका पारण शनिवार, 24 मई को होगा। हर एकादशी की तरह, इस एकादशी का व्रत भी कथा के बिना अधूरा माना जाता है। पारण का समय इस प्रकार है:


  • पारण (व्रत तोड़ने का) समय: 24 मई, 2025 को सुबह 05:26 AM से 08:11 AM तक

अपरा एकादशी के पारण की विधि

  • पारण से पहले स्नान-ध्यान कर भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें।

  • तुलसी में जल अर्पित करें और घर के बड़े-बुजुर्ग का आशीर्वाद लें।

  • पारण का पहला कौर लेने से पहले जल के साथ तुलसी दल अवश्य ग्रहण करें।

  • भोजन में चावल, चने की दाल और हरी लौकी की सब्जी अवश्य शामिल करें।


अपरा एकादशी व्रत कथा

हिंदू धर्म में व्रत कथा का विशेष महत्व है। अपरा एकादशी की कथा भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी। युधिष्ठिर ने पूछा कि इस एकादशी का नाम और महात्म्य क्या है। भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि यह एकादशी ‘अचला’ और ‘अपरा’ नामों से जानी जाती है।


इस दिन भगवान त्रिविक्रम की पूजा की जाती है। अपरा एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करते हैं, वे संसार में प्रसिद्ध हो जाते हैं।


इस व्रत के प्रभाव से ब्रह्म हत्या, भूत योनि, और अन्य पापों से मुक्ति मिलती है। अपरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति स्वर्ग को प्राप्त होता है।


प्राचीन काल में एक धर्मात्मा राजा महीध्वज था, जिसका छोटा भाई वज्रध्वज अधर्मी था। उसने अपने भाई की हत्या कर दी और राजा प्रेतात्मा के रूप में पीपल के पेड़ पर रहने लगा। एक दिन धौम्य ऋषि ने उसे देखा और अपरा एकादशी का व्रत करके उसकी मुक्ति कराई।


इस प्रकार, अपरा एकादशी की कथा सुनने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है।


Loving Newspoint? Download the app now