द्रिक पंचांग के अनुसार, कर्म के स्वामी शनि जुलाई 2025 में वक्री होंगे। वे 13 जुलाई 2025 को वक्री अवस्था में आए थे और 28 नवंबर 2025 तक इसी अवस्था में रहेंगे। ज्योतिषी हर्षवर्धन शांडिल्य बताते हैं कि जब शनि वक्री होते हैं, तो उनकी ऊर्जा व्यक्ति के आत्मनिरीक्षण, कर्मफल और बाधाओं पर विजय पाने की क्षमता को बढ़ाती है। यह समय धीमा ज़रूर होता है, लेकिन सही दिशा में काम करने वालों के लिए यह उत्तम फल देने वाला भी साबित होता है। आइए जानें कि शनिदेव की कुदृष्टि से बचने के लिए कौन से उपाय मददगार साबित हो सकते हैं।
शनिदेव की मूर्ति के दर्शन करें: शनिदेव की मूर्ति के दर्शन कभी भी आँखें बंद करके न करें। इससे उनकी कृपा प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
शनिवार के उपाय: हर शनिवार लाल वस्त्र पहनें और हनुमान जी के सामने खड़े होकर उनकी पूजा करें। हो सके तो शनिवार को थोड़े समय के लिए काले तिल या सरसों के तेल का दान करें। इससे शनि दोष कम होता है।
दीपक और मंत्र जाप: प्रतिदिन शाम को पश्चिम दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाएँ और शनिदेव को समर्पित मंत्र का जाप करें। शनिदेव का मूल मंत्र है: "ॐ शं शनैश्चराय नमः।"
सत्य और ईमानदारी: जीवन में ईमानदार रहें, सत्य बोलें और बड़ों का सम्मान करें। ये गुण शनिदेव को प्रसन्न करते हैं।
वृक्ष पूजन: शमी, तुलसी और पीपल के वृक्षों पर जल चढ़ाएँ। शनिवार की शाम को किसी चौराहे पर या पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएँ। हरे वृक्षों को कभी न काटें और न ही गर्भपात करवाएँ।
प्रातः शिव साधना: सूर्योदय से पहले उठें और भगवान शिव की पूजा करें। इससे दिन भर की सकारात्मक ऊर्जा और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
नीलम धारण करें: वक्री शनि के प्रभाव को कम करने और सकारात्मक ग्रहीय ऊर्जा प्राप्त करने में नीलम रत्न धारण करना बहुत प्रभावी माना जाता है। इसे शनिवार के दिन शुभ मुहूर्त में धारण करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
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