जयपुर के सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल में हुई भीषण आग में रुक्मणि नामक महिला की मौत ने परिवार और अस्पताल परिसर में भारी सदमा पैदा कर दिया है। उनके देवर बलवीर सिंह ने घटना का भयावह विवरण साझा किया।
बलवीर सिंह ने बताया कि 17 सितंबर की सुबह साढ़े पांच बजे रुक्मणि टॉयलेट जाने के दौरान फिसल गई थीं और उन्हें चोट लगी। परिजनों ने तुरंत उन्हें आरबीएम अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनकी प्राथमिक चिकित्सा की गई। उसी दिन उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां उनका इलाज चल रहा था।
बलवीर सिंह ने कहा कि उनकी बहन पूरी तरह स्वस्थ थीं और डॉक्टरों ने उन्हें डिस्चार्ज के लिए तैयार कर लिया था। उनके दोनों बेटे, शेरू और जोगिंदर, इलाज के दौरान उनके पास मौजूद थे।
उन्होंने आगे बताया कि रविवार देर रात उन्हें फोन आया कि एसएमएस अस्पताल में आग लग गई है और उनकी मां बुरी तरह झुलस गई हैं। उन्होंने कहा, “हमें विश्वास नहीं हो रहा था। मां स्वस्थ थीं और अचानक यह हादसा हो गया। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन उनकी मौत हो गई।”
स्थानीय मीडिया और अस्पताल सूत्रों के अनुसार, आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी और ICU सहित कई संवेदनशील विभाग प्रभावित हुए। आग के दौरान मरीजों को बचाने के लिए डॉक्टर, नर्स और अन्य स्टाफ ने तत्काल कार्रवाई की, लेकिन कुछ गंभीर मरीजों को बचाया नहीं जा सका।
घटना के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने दिल्ली दौरे को स्थगित कर पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए और घायलों को उच्च स्तरीय इलाज उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पतालों में सुरक्षा और आपातकालीन प्रोटोकॉल का पालन जीवन रक्षक साबित हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि रुक्मणि जैसी गंभीर स्थिति में मरीजों को तुरंत सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करना ही सबसे चुनौतीपूर्ण काम होता है।
परिवार और समाजजन इस हादसे से गहरे सदमे में हैं। बलवीर सिंह ने कहा कि उनकी बहन की मौत ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया है और वे चाहते हैं कि प्रशासन इस घटना की निष्पक्ष और त्वरित जांच करे।
एसएमएस अस्पताल प्रशासन ने भी प्रभावित मरीजों और उनके परिवारों के लिए सहायता की व्यवस्था शुरू कर दी है। सुरक्षा और आपातकालीन इंतजामों की समीक्षा की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
रुक्मणि की मौत ने अस्पताल में आगजनी की गंभीरता और सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों पर एक बार फिर ध्यान केंद्रित कर दिया है। विशेषज्ञों और नागरिकों का कहना है कि अस्पतालों में नियमित निरीक्षण, फायर सेफ्टी और आपातकालीन प्रशिक्षण सुनिश्चित करना बेहद आवश्यक है।
इस घटना ने परिवार और समाज को झकझोर दिया है और यह चेतावनी दी है कि संवेदनशील विभागों में सुरक्षा के प्रति कोई भी ढिलाई गंभीर परिणाम ला सकती है।
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