जबलपुर, 8 अप्रैल . रियायती और प्रतिस्पर्धी दरों पर स्कूली बच्चों को पाठ्य पुस्तकें, कॉपियां और यूनिफार्म उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन द्वारा आयोजित किये गये पंद्रह दिनों के जिला स्तरीय पुस्तक एवं गणवेश मेला का मंगलवार देर शाम भव्य समारोह में समापन हुआ. जबलपुर में आयोजित किया गया यह पुस्तक मेला प्रदेश भर में अनुकरणीय मिसाल बन गया है. मेले को दिये गये वृहद स्वरूप और यहॉं अपनाये गये नवाचारों की गूँज पूरे प्रदेश में सुनाई दी.
नवाचारों में पूर्व वर्ष की किताबों के आदान-प्रदान के लिये लगाया गया बुक बैंक के स्टॉल की चर्चा पूरे प्रदेश में हुई. इसके अलावा रोज शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी आकर्षण का केंद्र बनी रही. मेला स्थल पर फूड जोन में लगाये व्यंजनो के स्टॉल और बच्चों के लिये विभन्न प्रकार के झूलों को भी अभिभावकों और नागरिकों ने खूब पसंद किया.
जबलपुर में पुस्तक मेला के आयोजन का यह लगातार दूसरा वर्ष था. शहर के हृदय स्थल शहीद स्मारक परिसर, गोलबाजार में लगाये गये इस बार के पुस्तक मेले में न केवल जबलपुर बल्कि आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में बच्चों के अभिभावक यहाँ पहुँचे थे. बच्चों और अभिभावकों का प्रतिदिन मेले में तांता लगा रहा. कॉपी-किताबों और यूनिफार्म पर मिल रहे खासे डिस्काउंट से अभिभावकों के चहेरे पर प्रसन्नता भी दिखाई दी. अभिभावकों ने मेले को वृहद स्वरूप प्रदान करने के लिये जिला प्रशासन और खासतौर पर कलेक्टर दीपक सक्सेना की जमकर सराहना भी की.
ज्ञात हो कि निजी स्कूलों, प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं की साठगांठ से अभिभावकों को राहत दिलाने पुस्तक मेले की आयोजन की शुरुआत पिछले वर्ष जबलपुर से की गई थी. कलेक्टर दीपक सक्सेना की इस नवाचारी पहल की तब पूरे प्रदेश और देश भर में चर्चा हुई थी तथा इसे काफी सराहना भी मिली थी. जबलपुर में पिछले वर्ष आयोजित पुस्तक मेले की सफलता की मिसाल देते हुये राज्य शासन ने इसी तर्ज पर प्रदेश के सभी जिलों में इसके आयोजन के निर्देश भी दिये थे.
जबलपुर में इस बार आयोजित किये गये जिला स्तरीय पुस्तक और गणवेश मेला का समापन सांसद आशीष दुबे के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समारोह में हुआ. इस अवसर पर मेला का आयोजन के सूत्रधार कलेक्टर दीपक सक्सेना भी मंचासीन थे. सयुंक्त संचालक शिक्षा प्राचीश जैन, जिला व्यापार एवं उद्योग के महाप्रबंधक विनीत रजक एवं जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी भी समापन समारोह में मौजूद रहे. समापन समारोह का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी इस अवसर पर दी गई. मेले के सफल आयोजन में भागीदार विभिन्न विभागों के अधिकारियों- कर्मचारियों को तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले कलाकारों को प्रशस्ति पत्र मुख्य अतिथि सांसद आशीष दुबे एवं कलेक्टर दीपक सक्सेना ने प्रदान किये.
सांसद आशीष दुबे ने समापन समारोह को संबोधित करते हुये पुस्तक मेले के सफल आयोजन के लिये जिला प्रशासन की तथा स्कूली बच्चों की रुचि अनुसार इसे वृहद स्वरूप प्रदान करने के लिये कलेक्टर दीपक सक्सेना की सराहना की. उन्होंने पुस्तक मेला को सफल बनाने में स्कूली बच्चों, अभिभावकों और शहर के नागरिकों का भी आभार जताया. उन्होंने कहा कि एक ही स्थान पर रियायती दरों पर बच्चों और अभिभावकों को पाठ्य पुस्तकें, कापियां और गणवेश उपलब्ध कराकर जिला प्रशासन ने प्रदेश भर में नजीर कायम की है. पुस्तक मेले को दिया गया वृहद स्वरूप और बुक बैंक के स्टॉल जैसे अपनाये गये नवाचार प्रदेश के अन्य जिलों को भी प्रेरित करेंगे.
सांसद दुबे ने अपने संबोधन में आगे कहा कि मध्यम वर्गीय परिवार के लिए अपने बच्चों को शिक्षित करना कठिन कार्य है. माता पिता सभी आवश्यकताओं से समझौता कर सकते हैं पर बच्चों को शिक्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, क्योंकि वे अपने बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाना चाहते हैं. दुबे ने कहा कि जबलपुर में आयोजित पुस्तक मेला ने स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों को कॉपी-किताबों, यूनिफार्म और अन्य शैक्षणिक सामग्री पर होने वाले खर्च में बड़ी राहत प्रदान की है. उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षा की स्थापना एक मिशन के रूप में की गई थी, लेकिन धीरे धीरे समय के साथ इसका व्यवसायीकरण हो गया और यह एक प्रोफेशन के रूप में परिवर्तित हो गई.
सांसद ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई कहते थे कि अगर देशवासियों को कुछ मुफ्त में देना चाहिए तो वह है शिक्षा, अगर बच्चों को शिक्षित कर दिया जाए तो वे अपने जीवन में स्वतः उपलब्धियां प्राप्त कर सकते हैं. सांसद ने शिक्षा के दान को पुण्य का कार्य बताया और कहा कि समाज के सभी जिम्मेदार लोग यदि शिक्षा के प्रति अपने कर्तव्यों और अधिकारों को पहचान लें तो व्यवस्था को और अधिक बेहतर बनाया जा सकता है. इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प का भी स्मरण किया और सभी से प्रधानमंत्री के इस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने में अपनी अपनी भूमिका सुनिश्चित करने का आवाहन भी किया.
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने अपने संबोधन में पुस्तक मेला के आयोजन को निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली तथा निजी प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं के गठजोड़ को तोड़ने के लिए गत वर्ष की गई कार्यवाहियों का सफल परिणाम बताया. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की गई कार्यवाहियों में पाया गया कि पुस्तक विक्रेताओं द्वारा मात्र 650 रुपये का पुस्तक का सेट अभिभावकों को 5 हजार 427 रुपये में बेचा जा रहा था.
सक्सेना ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा सुनियोजित ढंग से अभिभावकों को जो किताबें पहले 900 रुपए में बेची जाती थी आज वही किताबें उन्हें मात्र 150 रुपये प्राप्त हो रही हैं, यह निजी विद्यालयों और पुस्तक विक्रेताओं के गठजोड़ को तोड़ने की दिशा में पुस्तक मेला की कामयाबी का परिणाम है. उन्होंने कहा कि बच्चों को सस्ती और अच्छी शिक्षा प्राप्त होना चाहिए, यह उनका अधिकार है. कलेक्टर ने अभिभावकों से बच्चों को अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की शिक्षा देने की बात कही और अभिभावकों से भी अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि अभिभावकों की जागरूकता के बदौलत ही शिक्षा के व्यवसायीकरण को समाप्त किया जा सकता है.
कलेक्टर सक्सेना ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देशों निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली तथा पुस्तक विक्रताओं की संथ गाँठ को तोड़ने प्रदेश भर में की गई कार्यवाहियों में बच्चों की शिक्षा को कोई नुकसान नहीं हुआ. मध्य प्रदेश में की गई कार्यवाहियों के बाद देश के अन्य राज्यों में भी शिक्षा के व्यवसायीकरण से जुड़ी समस्याओं को हल करने की दिशा में पहल की जा रही हैं.
जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने पुस्तक मेले के आयोजन की पृष्ठभूमि पर विस्तृत प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि पुस्तक मेला में लगाए गए बुक बैंक के स्टॉल से जिला रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा 59 हजार 920 रुपये की राशि का संकलन किया जा चुका है.
तोमर
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