नई दिल्ली, 14 अप्रैल . जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की है जिसमें वक्फ (संशोधन) कानून 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.
जमाअत के उपाध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर, मौलाना शफी मदनी और इनाम-उर-रहमान तथा जमाअत के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा दायर याचिका मोहम्मद सलीम एवं अन्य (याचिकाकर्ता) बनाम भारत संघ (प्रतिवादी) में नए कानून पर गंभीर चिंता जताई गई है.
याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और देश में वक्फ के धार्मिक, चैरिटेबल और समुदाय-उन्मुख चरित्र को खंडित करते हैं. याचिका में वक्फ संशोधन विधेयक को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 25, 26 और 300 (ए) का उल्लंघन बताते हुए इन संशोधनों को असंवैधानिक करार देकर रद्द करने की मांग की गई है.
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि वक्फ इस्लामी आस्था और भारतीय विरासत का एक अभिन्न अंग है जो दान, शिक्षा और सामाजिक कल्याण से गहराई से जुड़ा हुआ है. इसके धार्मिक व सामुदायिक चरित्र को कमजोर करने का कोई भी प्रयास न केवल असंवैधानिक है, बल्कि नैतिक रूप से भी अन्यायपूर्ण है.
जमाअत ने सभी न्यायप्रिय नागरिकों, कानूनी विशेषज्ञों और बहुलवाद और न्याय के लिए प्रतिबद्ध नागरिकों से आह्वान किया है कि वह वक्फ सुरक्षा को मनमाने ढंग से खत्म किए जाने के खिलाफ आवाज उठाएं और इस संवैधानिक चुनौती के साथ एकजुटता से खड़े हों.
हिेन्दुस्थान समाचार/मोहम्मद ओवैस
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/ मोहम्मद शहजाद
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