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इस दीपावली तेजी से घूम रहे कुम्हाराें के चाक

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यमुना की तलहटी में बसे गांवों में कुम्हार दिन-रात बना रहें दीये

औरैया, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . दीपावली का पर्व जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे जिले के कुम्हार समाज में रौनक बढ़ती जा रही है. प्रकाश पर्व की तैयारियों में कुम्हारों के चाक अब तेज़ी से घूम रहे हैं. यमुना की तलहटी में बसे गांव असेवटा और सेंगनपुर में दिन-रात मिट्टी के दीये, बर्तन और अन्य सामग्री बनाने का काम जारी है.

यहां के कुम्हार परिवार अपनी परंपरा को जीवित रखते हुए मेहनत से सुंदर दीये तैयार कर रहे हैं. कुम्हार समाज के सदस्य मुकेश प्रजापति, आदेश, और राम अवतार बताते हैं कि इस बार मिट्टी महंगी हो गई है. पहले खेतों से मिट्टी आसानी से मिल जाती थी, लेकिन अब मिट्टी खरीदनी पड़ रही है. एक ट्रैक्टर-ट्रॉली मिट्टी की कीमत 2000 रुपये तक पहुंच गई है. बावजूद इसके, वे परंपरा को निभाते हुए लगातार दीये बना रहे हैं.

कुम्हार राम अवतार बताते हैं कि “सुडोल और मजबूत दिया तभी बनता है जब मिट्टी मुलायम और कंकड़-पत्थर रहित हो. ऐसे में मिट्टी चुनने से लेकर दीया पकाने तक बहुत मेहनत करनी पड़ती है.”

दीप निर्माण का कार्य इन दिनों चरम पर है. एक कुशल कुम्हार प्रतिदिन करीब 700 दीये बना लेता है. तैयार दीयों को औरैया शहर, अजीतमल, दिबियापुर सहित आसपास के कस्बों में भेजा जाता है. बाजार में छोटे दीये की कीमत 2 रुपये प्रति पीस, जबकि चारमुखी और पंचमुखी दीये की कीमत 10 रुपये प्रति पीस तक है.

कुम्हारों का कहना है कि इस बार चीनी मशीनी सामानों और बढ़ती महंगाई ने उनकी कमाई पर असर डाला है, लेकिन फिर भी लोग पारंपरिक मिट्टी के दीये खरीदना पसंद कर रहे हैं. दीपावली से लेकर लोक आस्था के पर्व छठ तक मिट्टी के दीयों और बर्तनों की मांग बनी रहती है.

यमुना किनारे बसे इन गांवों के कुम्हार अपने हुनर और परिश्रम से न सिर्फ घर-आंगनों को रोशनी से भर रहे हैं, बल्कि Indian परंपरा और संस्कृति को भी जीवंत बनाए हुए हैं.

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(Udaipur Kiran) कुमार

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