कोलकाता, अगस्त ( हि.स.)।पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दुर्गा पूजा समितियों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता एक बार फिर कानूनी विवाद में फंस गई है। सरकार ने इस वर्ष प्रत्येक पूजा समिति को एक लाख दस हजार रुपये का अनुदान देने का निर्णय लिया है, जो पिछले वर्ष के 85 हजार की तुलना में लगभग तीस प्रतिशत अधिक है। राज्य की करीब 45 हजार पूजा समितियों को यह सहायता मिलने पर कुल खर्च लगभग 495 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
इसी निर्णय को चुनौती देते हुए दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनकी सुनवाई कलकत्ता हाई कोर्ट डिवीजन बेंच न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ में बुधवार को हुई । याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि सार्वजनिक धन का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए और इस विषय पर हाईकोर्ट पहले भी टिप्पणी कर चुका है।
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि हर साल यही मुद्दा उठाया जाता है। केवल दुर्गा पूजा के समय ही इस पर बहस होती है, जबकि बाकी समय जनता की भलाई पर कोई चर्चा नहीं होती है।
सुनवाई अब अगले सोमवार को होगी। इनमें से एक याचिका दुर्गापुर निवासी सौरव दत्ता ने दायर की है, जिन्होंने पिछले वर्ष भी इसी मुद्दे पर याचिका दाखिल की थी, लेकिन तब अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया था।
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में दुर्गा पूजा समितियों को आर्थिक सहायता देने की परंपरा शुरू हुई थी, जब यह राशि मात्र दस हजार रुपये थी। इसके बाद यह क्रमशः 2019 में पच्चीस हजार रुपये, फिर हर साल धीरे-धीरे बढ़ते हुए जुलाई 2023 में पचासी हजार रुपये हुई, और अब 2025 में एक लाख दस हजार रुपये कर दी गई है।
इस वर्ष दुर्गा पूजा का आयोजन सितंबर के अंतिम सप्ताह में होगा। इसके बाद पांच अक्टूबर को वार्षिक दुर्गा पूजा कार्निवाल भी आयोजित किया जाएगा।
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
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