नई दिल्ली, 11 अप्रैल . अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार को झटका लगने वाली खबर है. देश के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर इस साल फरवरी में सुस्त पड़ कर छह माह के निचले स्तर 2.9 फीसदी पर आ गई है.
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में बताया कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर आधारित औद्योगिक उत्पादन मुख्य रूप से विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन की वजह से औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि सुस्त पड़ी है. देश के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर फरवरी में छह माह के निचले स्तर 2.9 फीसदी पर आ गई है. पिछले साल फरवरी 2024 में इसमें 5.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई थी.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक इस बीच सरकार ने जनवरी 2025 के लिए आईआईपी पर आधारित औद्योगिक उत्पादन के वृद्धि दर के आंकड़े को संशोधित कर 5.2 फीसद कर दिया है. पिछले माह मार्च में जारी आंकड़ों में इसके पांच फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था. इससे पहले पिछला सबसे निचला स्तर अगस्त 2024 में सबसे कम वृद्धि दर शून्य फीसदी पर स्थिर रही थी. विनिर्माण क्षेत्र की उत्पादन में वृद्धि फरवरी में सुस्त पड़कर 2.9 फीसदी रही, जो पिछले साल इसी महीने में 4.9 फीसदी रही थी. खनन क्षेत्र का उत्पादन फरवरी महीने में 1.6 फीसदी रही, जो एक साल पहले फरवरी महीने में 8.1 फीसदी थी. फरवरी 2025 में बिजली उत्पादन की वृद्धि दर भी धीमी होकर 3.6 फीसदी रही जो पिछले साल इसी अवधि 7.6 फीसदी थी. वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल-फरवरी के दौरान आईआईपी में 4.1 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो पिछले साल इसी अवधि में 6.0 फीसदी थी.
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/ प्रजेश शंकर
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