हाल ही में सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही थी। दावा था कि केंद्र सरकार ₹2000 से ज्यादा के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की योजना बना रही है। यह खबर इतनी तेजी से फैली कि कई लोग इसे सच मान बैठे। व्हाट्सएप ग्रुप्स से लेकर ट्विटर तक, हर जगह इसकी चर्चा थी। लेकिन क्या यह सच है? आइए, इस खबर की असलियत को समझते हैं।
सरकार का स्पष्ट जवाब
वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर इन सभी अफवाहों पर विराम लगा दिया। मंत्रालय ने साफ कहा कि ₹2000 से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है। यह खबर पूरी तरह से झूठी और भ्रामक है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसी अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक स्रोतों से जानकारी लें। यह बयान उन लोगों के लिए राहत की सांस लेकर आया, जो डिजिटल पेमेंट के बढ़ते चलन के बीच ऐसी खबरों से चिंतित थे।
यूपीआई का बढ़ता महत्व
भारत में यूपीआई ने डिजिटल लेनदेन को एक नया आयाम दिया है। चाहे छोटी दुकान हो या ऑनलाइन शॉपिंग, यूपीआई ने हर जगह अपनी जगह बना ली है। ऐसे में, जीएसटी जैसी खबरें न केवल लोगों को भ्रमित करती हैं, बल्कि डिजिटल इंडिया के सपने को भी प्रभावित कर सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी अफवाहें अक्सर लोगों में डर पैदा करने के लिए फैलाई जाती हैं। लेकिन सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया ने इस बार स्थिति को संभाल लिया।
लोगों को क्या करना चाहिए?
सोशल मीडिया पर हर खबर पर भरोसा करना जोखिम भरा हो सकता है। अगर आपको यूपीआई या जीएसटी से जुड़ी कोई खबर मिले, तो सबसे पहले उसे वित्त मंत्रालय या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर जांच लें। साथ ही, अपने आसपास के लोगों को भी ऐसी अफवाहों से सावधान रहने के लिए प्रेरित करें। डिजिटल लेनदेन को और सुरक्षित बनाने के लिए जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है।
The claims that the Government is considering levying GST on UPI transactions over ₹2,000 are completely false, misleading, and without any basis.
— CBIC (@cbic_india) April 18, 2025
👉Currently, there is no such proposal before the government.
👉GST is levied on charges, such as the Merchant Discount Rate…
डिजिटल भारत का भविष्य
यूपीआई ने न केवल लेनदेन को आसान बनाया है, बल्कि यह भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर ले जा रहा है। सरकार की नीतियां भी डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने वाली रही हैं। इसलिए, ऐसी भ्रामक खबरों का उद्देश्य लोगों के बीच अविश्वास पैदा करना हो सकता है। लेकिन सच्चाई यह है कि यूपीआई आज भी उतना ही सुरक्षित और सुविधाजनक है, जितना पहले था।
You may also like
बच्चों के साथ जा रहे हैं घूमने तो इन चीजों को घर पर भूलने की गलती ना करें, आएगी बहुत काम
बांग्लादेश की पाकिस्तान से मुआवज़े और माफ़ी की मांग पर दोनों देशों का मीडिया क्या कह रहा है
Libra People Personality: तुला राशि, संतुलन में छिपा है जीवन का रहस्य
जेईई मेन में हर्ष झा का शानदार प्रदर्शन, 100 पर्सेंटाइल हासिल करने का खोला राज
भाजयुमो कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग, कांग्रेस ने एसीपी को सौंपा पत्र