जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहलाने वाले आतंकी हमले ने न केवल कई परिवारों को तोड़ दिया, बल्कि मानवता पर एक गहरा आघात किया। इस हमले में इंदौर के सुशील नाथनियल ने अपनी जान गंवाई, जो अपने परिवार के साथ घूमने गए थे। उनकी पत्नी और बच्चों ने इस भयावह घटना की आंखों देखी दास्तां साझा की, जो हर किसी का दिल दहला देती है। आइए, इस त्रासदी और इसके खिलाफ उठ रही आवाजों को समझें।
एक परिवार का अपूरणीय नुकसान
इंदौर के अभिनंदन नगर में रहने वाले सुशील नाथनियल एक सम्मानित LIC कर्मचारी थे। वे अपने परिवार के साथ पहलगाम की खूबसूरत वादियों का आनंद लेने गए थे, लेकिन आतंकियों ने उनकी जिंदगी छीन ली। सुशील के बेटे ने बताया कि आतंकियों ने लोगों से उनका धर्म पूछा और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया। सुशील से कलमा पढ़ने को कहा गया, और जब उन्होंने कहा कि वे क्रिश्चियन हैं और उन्हें कलमा नहीं आता, तो आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी। इस हमले में सुशील की बेटी भी घायल हुई, जबकि उनकी पत्नी को उन्होंने छिपाकर बचा लिया।
आतंक का क्रूर चेहरा
सुशील की पत्नी ने बताया कि उनके पति ने परिवार को बचाने के लिए अपने सीने पर गोली खाई। आतंकियों ने सुशील को घुटनों पर बिठाया और क्रूरता से उनका अपमान किया। सुशील के बेटे ने कहा कि आतंकियों ने 15 साल के बच्चों तक को नहीं बख्शा, जो सेल्फी ले रहे थे। इस हमले में 6 लोगों को उनके सामने गोली मारी गई। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि आतंकवाद की वहशियत का जीता-जागता सबूत है, जो धर्म और इंसानियत को नहीं मानता।
इंदौर में शोक और एकजुटता
सुशील नाथनियल की अंतिम यात्रा में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी शामिल हुए और परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। पटवारी ने कहा कि इस दुख की घड़ी में कांग्रेस पार्टी परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ देश की एकजुटता पर जोर दिया और कहा कि ऐसे कायराना हमले भारत के हौसले को कमजोर नहीं कर सकते। इंदौर के आजाद नगर में मध्य प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने आतंकवाद का पुतला जलाकर इस हमले का विरोध किया। विभाग के अध्यक्ष शेख अलीम ने कहा कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता, और हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब को तोड़ने की उनकी साजिश कभी कामयाब नहीं होगी।
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